Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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एकामावेशतान्याय.
अच्छा होता है। तुलाराशिके मंगल में किसी बड़े नेता या व्यक्तिको मृत्यु, अस्त्र-शस्त्रकी वृद्धि, मार्गमें भय, चोरोंका विशेष उपद्रव, अराजकता, धान्यका भाव महँगा, रसोंका भाव सस्ता और सोना-चाँदी का भाव कुछ महँगा होता है। व्यापारियोंको हानि उठानी पड़ती है। वृश्चिक राशिके मंगलमें साधारण वर्षा, मध्यम फसल, देशका आर्थिक विकास, ग्रामोंमें अनेक प्रकारकी बीमारियों का प्रकोप, पहाड़ी प्रदेशोंमें दुष्काल, नदीके तटवर्ती प्रदेशोंमें सुभिक्ष, नेताओंमें संघटनकी भावना, विदेशों से व्यापारिक सम्बन्धका विकास, राजनीतिमें उथल-पुथल एवं पूर्वीय देशोंमें महामारी फलती है। धनुराशिके मंगल में समयानुकूल यथेष्ठ वर्षा, सुभिक्ष, अनाजका भाव सस्ता, दुग्ध-घी आदि पदार्थों की कमी, चीनी-गुड़ आदि मिष्ठ पदार्थों की बहुलता एवं दक्षिणके प्रदेशॆमें उत्पात होता है। मकर राशिके मङ्गलमें धान्य पीड़ा, फसलमें अनेक रोगोंकी उत्पत्ति, मवेशीको कष्ट, चारेका अभाव, व्यापारियोंको अल्प लाभ, पश्चिम के व्यापारियोंको हानि, गेहूँ, गुड़ और मशालेके मूल्यमें दुगुनीवृद्धि एवं उत्तर भारतके निवासियोंको आर्थिक सकंट का सामना करना पड़ता है। कुम्भके मंगलमें खण्डवृष्टि, मध्यम, फसल, खनिज पदार्थों की उत्पत्ति अत्यल्प, देशका आर्थिक विकास, धार्मिक वातावरणकी वृद्धि, जनतामें सन्तोष और शान्ति रहती है। मीनराशिके मंगलमें एक महीने तक समस्त भारतमें सुख-शान्ति रहती है। जापानके लिए मीन राशिका मंगल अनिष्टप्रद है, वहाँ मन्त्रिमण्डलमें परिवर्तन, नागरिकोंमें सन्तोष, खाद्यान्नोंकी कमी एवं अर्थसंकट भी उपस्थित होता है। जर्मनके लिए मीनराशिका माल शुभ होता है। रूस और अमेरिकामें परस्पर महानुभाव इसी मंगलमें होता है। मीन राशि का माल धान्यों की उत्पत्तिके लिए उत्तम होता है। खनिज पदार्थों की कमी इसी मङ्गलमें होती है। कोयला का भाव ऊँचा उठ जाता है। पत्थर, सीमेण्ट, चूना, आदिके मूल्यमें भी वृद्धि होती है। मीनराशिका माल जनताके स्वास्थ्यके लिए उत्तम नहीं होता।
नक्षत्रोंके अनुसार मंगलका फल–अश्विनी नक्षत्रमें मंगल हो तो क्षति, पीड़ा, तृण और अनाजका भाव तेज होता है। समस्त भारत में एक महीनेके लिए अशान्ति उत्पन्न हो जाती है। चौपार्योंमें रोग उत्पन्न होता है। देशमें हलचल होती रहती है। सभी लोगोंको किसी-न-किसी प्रकारका कष्ट होता है। भरणी नक्षत्रमें