Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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षोडशोऽध्यायः
भारत के लिए उक्त नक्षत्र का शनि उत्तम नहीं है। देश में समयानुकूल वर्षा नहीं होती है, जिससे फसल उत्तम नहीं होती ।
उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का शनि गुड़, लवण, जल एवं फलोंके लिए हानिकारक होता है। उक्त शनि में महाराष्ट्र, मद्रास, दक्षिणी भारतके प्रदेश और बम्बईराज्यके लिए लाभ होता है। इन राज्यों का आर्थिक विकास होता है, कला-कौशलकी वृद्धि होती है । हस्त नक्षत्र में शनि स्थित हो तो शिल्पियों को कष्ट होता है। कुटीर उद्योगोंके विकास में उक्त नक्षत्रके शानिसे अनेक प्रकारकी बाधाएँ आती हैं। चित्रा नक्षत्र में शनि हो तो स्त्रियों, ललितकलाके कलाकारों एवं अन्य कोमल प्रकृतिवाल को कष्ट होता है। इस नक्षत्र में शनि के रहने से समस्त भारत में वर्षा अच्छी होती है, फसल भी अच्छी उत्पन्न होती है। दक्षिणके प्रदेशों में आपसी मतभेद होने से कुछ अशान्ति होती है। स्वाति नक्षत्र में शनि हो तो, नर्तक, सारथी, ड्राइवर, जहाज संचालक, दूत एवं स्टीमरोंके चालकों को व्याधियाँ उत्पन्न होती हैं। देश में शान्ति और सुभिक्ष उत्पन्न होते हैं। विशाखा नक्षत्र का शनि रंगोंके व्यापारियोंके लिए उत्तम है। लोहा, अभ्रक तथा अन्य प्रकारके खनिज पदार्थों के व्यापारियोंके लिए अच्छा होता है। अनुराधा नक्षत्र का शनि काश्मीरके लिए अरिष्टकारक होता है । भारतके लिए मध्यम है, इस नक्षत्रके शनि में खेती अच्छी होती है वर्षा अच्छी ही होती है। इस नक्षत्रके शनि में बर्तन बनाने का कार्य करनेवाले, कपड़े का कार्य करनेवाले यन्त्रों में विघ्न उत्पन्न होते है। जूट और चीनी के व्यापारियोंके लिए वह बहुत अच्छा होता है। ज्येष्ठा नक्षत्र का शनि श्रेष्ठिवर्ग और पुरोहितवर्गके लिए उत्तम नहीं होता है। अवशेष सभी श्रेणीके व्यक्तियोंके लिए उत्तम होता है। मूल नक्षत्र का शनि काशी, अयोध्या और आगरा में अशान्ति उत्पन्न करता है । यहाँ संघर्ष होते हैं तथा उक्त नगरों में अग्नि का भी भय रहता है। अवशेष सभी प्रदेशोंके लिए उत्तम होता है । पूर्वाषाढ़ा में शनि के रहने से बिहार, बंगाल, उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मध्यभारत के लिए भयकारक, अल्प वर्षा सूचक और व्यापार में हानि पहुँचानेवाला होता है। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में शनि विचरण करता हो तो यवन, शबर, भील आदि पहाड़ी जातियों को हानि करता है। इन जातियों में अनेक प्रकारके रोग फैल जाते हैं तथा आगरा में भी संघर्ष होता है। श्रवण नक्षत्र में विचरण करने