Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
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से मध्यम वर्षा होती हैं और फसल भी मध्यम हो होती है। ज्येष्ठा और मूलमें गुरु हो तो दो महीने के उपरान्त खण्डवृद्धि होती है। पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ामें गुरु हो तो तीन महीनों तक लगातार अच्छी वर्षा, क्षेम, आरोग्य और पृथ्वी पर सुभिक्ष होता है। श्रवण, धनिष्ठा शतभिषा नक्षत्र में गुरु हो तो सुभिक्षके साथ धान्य महँगा होता है। पूर्वाभाद्रपद और उत्तराभाद्रपदमें गुरुका होना अनावृष्टिका सूचक है। रेवती, भरणी और अश्विनी नक्षत्र में गुरुके होनेसे सुभिक्ष, धान्यकी अधिक उत्पत्ति एवं शान्ति रहती है। मृगशिरा से पाँच नक्षत्रों में गुरु शुभ होता है। गुरु तीव्र गति हो और शनि वक्री हो तो विश्वमें हा हाकार होने लगता है।
गुरुके उदयका फलादेश—मेष राशिमें गुरुका उदय हो तो दुर्भिक्ष, मरण, संकट, आकस्मिक दुर्घटनाएं होती हैं। वृषमें उदय होने से सुभिक्षी, मणि-रत्न महँगे होते हैं। मिथुनमें उदय होने से वेश्याओं को कष्ट, कलाकार और व्यापारियोंको भी पीड़ा होती है। कर्कमें उदय होनेसे अल्पवृष्टि, मृत्यु एवं धान्यभाव तेज होता है। सिंहमें उदय होने से समयानुकूल यथेष्ट वर्षा, सुभिक्ष एवं नदियोंकी बाढ़े जन-साधारणमें कष्ट होता है। कन्याराशिमें गुरुके उदय होने से बालकों को कष्ट, साधारण वर्षा और फसल भी अच्छी होती है। तुलाराशिमें गुरुके उदय होने से काश्मीरी चन्दन, फल-पुष्प एवं सुगन्धित पदार्थ महँगे होते हैं। वृश्चिकराशि में गुरुके उदय होने दुर्भिक्ष, धन-विनाश, पीड़ा एवं अल्प वर्षा होती है। धनुराशि और मकरराशिमें गुरुका उदय होनेसे रोग, उत्तम धान्य, अच्छी वर्षा एवं द्विजातियोंको कष्ट होता है।कुम्भराशिमें गुरुका उदय होने से अतिवृष्टि, अनाजकाभाव महँगा एवं द्विजातियोंको कष्ट होता है। कुम्भराशिमें गुरुका उदय होनेसे अतिवृष्टि, अनाज का भाव महँगा एवं मीनराशिमें गुरुके उदय होनेसे युद्ध, संघर्ष और अशान्ति होती है। कार्तिकमासमें गुरुका उदय होनसे निरोगता और धान्यकी प्राप्ति; माघ-फाल्गुनमें उदय होनेसे खण्डवृष्टि, चैत्रमें उदय होनेसे विचित्र स्थिति, वैशाख-ज्येष्ठमें उदय होनेसे वर्षा का निरोध; आषाढ़ में उदय हो तो आपसमें मतभेद, अन्नका भाव तेज; श्रावणमें उदय हो तो आरोग्य, सुख-शान्ति-वर्षा; भाद्रपद मासमें उदय होनेसे धान्य नाश एवं आश्विनमें उदय होनेसे सभी प्रकारसे सुखकी प्राप्ति होती है।