Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
रक्तारक्तेषु चाभ्रेषु हरिताहरितेषु च।।
नीलानीलेषु वा स्निग्धा वर्षन्तेऽनिष्टयोनिषु ॥१४॥ (रक्तारक्तेषु) लाल या अलाल (हरिताहरितेषु) हरी या अहरी (च) और (नीलानीलेषु) नीली या अनीली (नाशेषु, नाटलोंमें गदि लिलली (स्निग्धा) स्निग्ध होकर चमके तो (अनिष्ट) अनिष्ट (योनिषु) योग होने पर भी (वर्षन्ते) वर्षा होती
है।
__ भावार्थ-लाल या अलाल, हरित या अहरित, नीले या अनीले रंग के बादलों में स्निग्ध होकर यदि बिजली चमके तो समझो अनिष्ट कारक होने पर भी वर्षा अवश्य होगी, याने वर्षा भी होगी और अनिष्ट भी होगा। दोनों की सूचक यह बिजली है।। १४ ॥
अथ नीलाच पीताश्च रक्ताः श्वेताश्च विद्युतः।
एतां श्वेतां पतत्यूध्व विधुदुदकसंप्लवम्।।१५।। (अथ) अथ (नीलाश्च) नीले रंगकी, (पीताश्च) पीले रंग की (रक्ता:) लाल रंग (श्वेताश्च) सफेद रंग की (विद्युतः) बिजली होती है (एता) इसमें (विधुद) बिजली (पतन्यूज़) आकाश में गिरे तो (उदकसंप्लवम्) पानी से पृथ्वी भर जाती
भावार्थ-अथ बिजली नीले रंग की, पीले रंग की लाल रंग की और सफेद रंग की होती है इन सबमें यदि सफेद रंग की बिजली आकाश से नीचे गिरे तो याने ऊपर चमके तो समझो बहुत जोर से पानी बरसेगा, इतना बरसेगा की पृथ्वी पर पानी ही पानी हो जायेगा॥१५॥
वैश्वानर पथे विद्युत् श्वेता रूक्षा चरेद् यतः।
विन्द्यात् तदाऽशनि वर्ष रक्तायामग्नितो भयम्॥ १६ ॥ (वैश्वानरपथे) अग्निकोण में (विद्युत) बिजली (श्वेता) सफेद रंगकी होकर (रूक्षा) रूक्ष रूप (चरेद्यत:) आचरण करे तो (तदाऽशनिवर्ष) तब अशनि की वर्षा (विन्ध्यात) जानो और (रक्तायाम्) लालरंगकी हो तो (अग्नितो) अग्निका (भयम्) भय होगा।