Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
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मेघमाला हो तो शीघ्र ही वर्षा होती है। प्रात:काल सभी दिशाएँ निर्मल हों और मध्याह्रके समय गर्मी पड़ती हो तो अर्द्ध रात्रिके समय प्रजाके सन्तोषके लायक अच्छी वर्षा होती है। अत्यन्त वायुका चलना, सर्वथा वायुका न चलना, अत्यन्त गर्मी पड़ना, अत्यन्त शीत पड़ना, अत्यन्त बादलोंका होना और सर्वथा ही बादलोंका न होना छः प्रकारके मेघके लक्षण बदलाए गए हैं। वायुका न चलना, बहुत वायु चलना, अत्यन्त गर्मी पड़ना वर्षा होनेके लक्षण हैं। वर्षाकालके आरम्भमें दक्षिण दिशाके अन्दर याद वायु, बादल या बिजली चमकती हुई दिखलाई पड़े तो अवश्य वर्षा होती है। शुक्रवार के निकले हुए बादल यदि शनिवार तक ठहरे रहें तो वे बिना वर्षा किए कभी नष्ट नहीं होते। उत्तरमें बादलोंका घटाटोप हो रहा हो और पूर्वसे वायु चलता हो तो अवश्य वर्षा होती है। सांयकालके समय अनेक तहवाले बादल यदि मोर, घनुष, लाल, पुष्प और तोतेके तुल्य हों अथवा जल-जन्तु, लहरों एवं पहाड़ोंके तुल्य हों तो शीघ्र ही वर्षा होती है। तीतरके पंखोंकी-सी आभा वाले विचित्र वर्णके मेघ यदि उदय और अस्तके समय अथवा रात-दिन दिखलाई दे तो शीघ्र ही बहुत वर्षा होती है। मोटे तहवाले बादलोंसे जब आकाश ढका हुआ हो और हवा चारों ओरसे रुकी हुई हो तो शीघ्र ही अधिक वर्षा होती है।
घड़ेमें रखा हुआ जल गर्म हो जाय, सब लताओंका मुख ऊँचा हो जाय, कुंकुमका-सा तेज चारों ओर निकलता हो, पक्षी स्नान करते हों, गीदड़ सायंकालमें चिल्लाते हों, सात दिन तक आकाश मेघाच्छान्न रहे, रात्रिमें जुगुनू जलके स्थानके समीप जाते हों तो तत्काल वृष्टि होती है। गोबरमें कीटोंका होना, अत्यन्त कठिन परितापका होना, तक्र—छाछका खट्टा हो जाना, जलका स्वाद रहित हो जाना, मछलियोंका भूमिकी ओर कूदना, बिल्लीका पृथ्वीको खोदना, लोहकी अंगसे दुर्गन्ध निकलना, पर्वतका काजलके समान वर्णका हो जाना, कन्दराओंसे भापका निकलना, गिरगिट, कृकलास आदिका वृक्षके चोटी पर चढ़कर आकाशको स्थिर होकर देखना, गायोंका सूर्यको देखना, पशु-पक्षी और कुत्तोंका पंजों और खुरों द्वारा कानका खुजलाना, मकानकी छत पर स्थित होकर कुत्तेका आकाशको स्थिर होकर देखना, बुगलोंका पंख फैलाकर स्थिरतासे बैठना, वृक्षपर चढ़े हुए सोका चीत्कार शब्द होना, मेढकोंकी जोरकी आवाज आना, चिड़ियोंका मिट्टीमें स्नान करना, टिटिहरीका जलमें स्नान करना, चातकका जोरसे शब्द करना, छोटे-छोटे सोका वृक्ष पर चढ़ना, बकरीका