Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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। भद्रबाहु संहिता
भद्रबाह संहिता
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वामशृङ्गं यदा वा स्यादुन्नतं दृश्यते भृशम्।
तदा सृजति लोकस्य दारुणत्वं न संशयः॥१३४ ॥ (यदा) जब (वाम श) वाम भृक्ष चन्द्रमा का (उन्नतं दृश्यते भृशम्) उन्नत दिखाई पड़े (तदा) तब (दारुणत्वं सृजति लोकस्य) महान् भय का लोक में सृजन होगा (न संशय) इसमें कोई सन्देह नहीं हैं।
भावार्थ-जब शुक्ल पक्ष के चन्द्रमा का वाम शृंग ऊपर हो तो समझो लोक में महान भय होगा इसमें कोई सन्देह नहीं हैं॥१३४ ।।
ऊर्ध्वस्थितं नृणां पापं तिर्यक्रस्थं राजमन्त्रिणाम्।
अधोगतं च वसुधां सर्वां हन्यादसंशयम्॥१३५।। (ऊर्ध्वस्थितं नृणां पापं) ऊर्ध्व में स्थित चन्द्रमा मनुष्यों के पाप को नाश करता है (राजमन्त्रिणामतिर्यकस्थं) तिर्यक्रराजमन्त्रियों के पाप नाश करता है, (अधोगतं च) अधोगत चन्द्रमा (सर्वां) सम्पूर्ण (वसुधां) पृथ्वी के पाप को (हन्याद्) नाश करता है (असंशयम्) इसमें कोई संशय नहीं हैं।
भावार्थ-जब चन्द्रमा ऊर्ध्वगामी हो तो मनुष्यों के पाप नाश करता है तिरछा हो तो राजमन्त्री के पाप नाश करता है, अधोगत हो ता सम्पूर्ण वसुधा के पाप नाश करता है, इसमें कोई संशय नहीं हैं।। १३५ ।।
शस्त्रं रक्ते भयं पीते धूमे दुर्भिक्षविद्रवे।
चन्द्रे तदोदिते ज्ञेयं भद्रबाहुवचो यथा॥१३६ ।। (चन्द्रे) चन्द्रमा यदि (तदोदिते) उदय होने के समय में (रक्ते) लाल हो तो (शस्त्र) शस्त्र भय होता है (पीते भयं) पीला हो तो भय होगा, (धूमे दुर्भिक्षविद्रवे) धूमवर्ण का हो तो दुर्भिक्षका उपद्रव होता है (ज्ञेयं) ऐसा जानना चाहिये। (भद्रबाहुवचो यथा) ऐसा भद्रबाहु स्वामी का वचन है।
भावार्थ-यदि चन्द्रमा उदय होते समय लाल हो तो शस्त्र भय होगा, पीला हो तो भय होगा, धूम्रवर्ण का हो तो दुर्भिक्ष होगा ऐसा भद्रबाहु स्वामी का वचन है।।१३६॥