Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
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धूल, अग्नि और धुंआकी अधिकता दिखलायी पड़े तो दुर्भिक्ष, चोरोंका उपद्रव एवं जनतामें अशान्ति होती है।
रोग-सूचक उत्पात-चन्द्रमा कृष्ण वर्णका दिखलायी दे तथा ताराएँ विभिन्न वर्णकी टूटती हुई मालूम पड़ें तो, सूर्य उदयकालमें कई दिनों तक लगातार काला
और रोता हुआ दिखलायी पड़े तो दो महीने उपरान्त महामारीका प्रकोप होता है। बिल्ली तीन बार रोकर चुप हो जाय तथा नगरके भीतर आकर शृगाल-सियार तीन बार रोकर चुप हो जाय तो उस नगरमें भयंकर हैजा फैलता है। उल्कापात हरे वर्णका हो, चन्द्रमा भी हरे वर्णका दिखलायी पड़े तो सामूहिक रूपसे ज्वरका प्रकोप होता है। यदि सूखे वृक्ष अचानक हरे हो जाये तो उस नगरमें सात महीनेके भीतर महामारी फैलती है। चूहोंका समूह-सेना बनाकर नगरसे बाहर जाता हुआ दिखलायी पड़े तो प्लेग का प्रकोप समझना चाहिए। पीपल वृक्ष और वट वृक्षमें असमयमें फल पुष्प आवें तो नगर या गाँवमें पाँच महीनोंके भीतर संक्रामक रोग फैलता है, जिससे सभी प्राणियोंको कष्ट होता है। गोधा मेढ़क और मोर रात्रिमें . भ्रमण करें तथा श्वेत काक एवं गृद्ध घरोंमें घुस आवें तो उस नगर या गाँवमें तीन महीनेके भीतर बीमारी फैलती है। काक मैथुन देखनेसे छ: मासमें मृत्यु होती है।
धन-धान्य नाश सूचक उत्पात वर्षाऋतुमें लगातार सात दिनों तक जिस प्रदेशमें ओले बरसते हैं, उस प्रदेशके धन-धान्यका नाश हो जाता है। रात या दिन उल्लू किसीके घरमें प्रविष्ट होकर बोलने लगे तो उस व्यक्तिको सम्पत्ति छ: महीनेमें विलीन हो जाती है। घरके द्वार पर स्थित वृक्ष रोने लगें तो उस घरकी सम्पत्ति विलीन होती है घरमें रोग एवं कष्ट फैलते हैं। अचानक घरकी छतके ऊपर स्थित होकर श्वेत काक पाँच बार जोर-जोरसे काँव-काँव करे, पुनः होकर तीन बार धीरे-धीरे काँव-काव करे तो उस घरकी सम्पत्ति एक वर्षमें विलीन हो जाती है। यदि यह घटना नगरके बाहर पश्चिम द्वार पर घटित हो तो नगरकी सम्पत्ति विलीन हो जाती है। नगरके मध्यमें किसी व्यन्तर की बाधा या व्यन्तरका दर्शन लगातार कई दिनों तक हो तो नगरकी श्री विलीन हो जाती है। यदि आकाशसे दिनभर धूल बरसती रहे, तेज वायु चले और दिन भयंकर मालूम हो तो उस नगरकी