Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
और सूर्यके अस्त होते समय सूर्यके पास ही दूसरा उद्योतवाला सूर्य दिखाई दे तो वर्षाभाव होता है तथा प्रजाको कष्ट उठाना पड़ता है।
अग्निभय सूचक - उत्पात — सूखे काठ, तिनके, घास आदिका भक्षण कर घोड़े सूर्यकी ओर मुँहकर हँसने लगे तो तीन महीने में नगरमें अग्नि प्रकोप होता है। घोड़ोंका जलमें हँसना, गायोंका अग्नि चाटना या खाना, सूखे वृक्षोंका स्वयं जल उठना, एकत्र घास या लकड़ीमेंसे स्वयं धुआँ निकलना, लड़कोंका आगसे खेल करना, या खेलते-खेलते बच्चे घरसे आग ले आवें पक्षी आकाशमें उड़ते हुए अकस्मात् गिर जावें तो उस गाँव या नगरमें पाँच दिनसे लेकर तीन महीने तक अग्निका प्रकोप होता है।
राजनैतिक उपद्रव सूचक — जिस स्थान पर मनुष्य गाना गा रहे हों, वहाँ गाना सुननेके लिए यदि घोड़ी, हथिनी, कुत्तियाँ एकत्र हो तो राजनैतिक उपद्रव होते हैं। जहाँ बच्चे खेलते-खेलते आपसमें लड़ाई करें, क्रोधसे झगड़ा आरम्भ करें वहाँ युद्ध अवश्य होता है तथा राजनीतिके मुखियोंमें आपसमें फूट पड़ जाने से देशकी हानि भी होती है। बिना बैलोंका हल यदि आपमें आप खड़ा होकर नाचने लगे तो परचक्र जिस पार्टीका शासन है, उससे विपरीत पार्टीका शासन होता है। शासन प्राप्त पार्टी या दलको पराजित होना पड़ता है। शहरके मध्य में कुत्ते ऊँचा मुँह कर लगातार आठ दिन तक भोंकते दिखलाई पड़ें तो भी राजनैतिक झगड़े उत्पन्न होते हैं। जिस नगर या गाँव में गीदड़, कुत्ते और चूहा बिल्लीको मार लगावे, उस नगर या गाँवमें राजनीतिको लेकर उपद्रव होते हैं। उसमें अशान्ति इस घटना के बाद दस महीने तक रहती है। जिस नगर या गाँवमें सूखा वृक्ष स्वयं ही उखड़ता हुआ दिखलाई पड़े, उस नगर या गाँवमें पार्टी बन्दी होती है। नेताओं और मुखियोंमें परस्पर वैमनस्य हो जाता है, जिससे अत्यधिक हानि होती है। जनतामें भी फूट हो जानेसे राजनीतिकी स्थिति और भी विषम हो जाती है। जिस देश में बहुत मनुष्योंकी आवाज सुनाई पड़े, पर बोलनेवाला कोई नहीं दिखलाई दे, उस देश या नगर में पाँच महीनों तक अशान्ति रहती है। रोग बीमारीका प्रकोप भी बना रहता है । यदि सन्ध्या समय गीदड़, लोमड़ी किसी नगर या ग्रामके चारों ओर रुदन करें तो भी राजनैतिक झंझट रहता है।