Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
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उसके रत्न नष्ट हो जाते हैं, और उसके घर में अग्नि लग जाने पर बहुत कुछ नष्ट हो जाता है।। १४६ ।।
क्षीयते वा म्रियते वा पञ्चमासात् परं नृपः।
गजस्यारोहणे यस्य यदा दन्तः प्रभिद्यते॥१४७॥ (यदा) जब (यस्य) जिस (गजस्यारोहणे) हाथी के ऊपर सवारी करते समय (दन्त: प्रभिद्यते) हाथी का दांत टूट जाय तो (नृपः) राजा (पञ्चमासात् परं) पाँच महीने में या छह महीने में (क्षीयते वा म्रियते वा) मर जायगा या क्षय को प्राप्त हो जायगा।
भावार्थ-जब हाथी पर सवारी करते समय हाथी का दांत टूट जाय तो समझो राजा का क्षय हो जायगा, या मरण हो जायगा॥१४७॥
दक्षिणे राजापीडास्यात्सेनायास्तु वधं वदेत्।
मूलभङ्गस्तु यातारं करिकानं नृपं वदेत् ॥१४८॥ यदि हाथी का (दक्षिणे) दक्षिण दाँत टूटे तो (राजपीडास्यात्) राजा को पीड़ा होगी, (सेनायास्तु वधं वदेत्) सेना का भी वध होगा, ऐसा कहते है (करिकान) हाथी का दाँत (मूल भङ्गस्तु) मूल से ही भङ्ग हो जाय तो (यातारं नृपं) गमन करने वाले राजा को भय होगा ऐसा कहते हैं।
भावार्थ-यदि हाथी का दक्षिण दाँत टूट जाय तो राजा का वध होगा, दाँत जड़ मूल से ही टूट जाय तो राजा को महान् भय उत्पन्न होगा॥१४८।।
मध्यमंसे गजाध्यक्षमग्रजे स पुरोहितम्।
विडालनकुलोलूक काक कर सम प्रभः ।। १४९ ।। (यदि) (गजा) हाथी का (मध्यमं से) दाँत मध्यम से टूटे और वह भी (विडाल) बिल्ली (नकुलो) नेवला (लूक) उल्लू (काक) कौआ (कङ्क समप्रभः) बगुलाओं के आकार का टूटे तो (अध्यक्षमग्रजे स पुरोहितम) राजा का अग्र अध्यक्ष व पुरोहित का असत् फल होगा।
भावार्थ-हाथी का दाँत मध्य से टूटे और वह भी बिल्ली, नेवला, उल्लू,