Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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त्रयोदशोऽध्यायः
ऐसे वैद्य को ही राजा रखे, ज्ञानवान हो अल्पभाषण करने वाला हो, मतिमान हो, मितभाषी हो। अनेक प्रकार की आकांक्षाओं से रहित हो, यश की कामना करने वाला है।। १७॥
मानोन्मानप्रभायुक्तो पुरोधा गुणवाच्छितः। स्निग्धो गम्भीरघोषश्च सुमनाश्चाशुमान् बुधः॥१८॥ छायालक्षणपुष्टश्च सर्वणः पुष्टकः सुवाक् । सबल: पुरुषो विद्वान् क्रोधश्च यतिः शुचिः ।। १९ ।। हिंस्रो त्रिवर्णः पिङ्गो वा नीरोमा छिद्रवर्जितः।
रक्तश्मश्रुः पिङ्गनेत्रो गौरस्तान: पुरोहितः॥२०॥
(मानोन्मानप्रभायुक्तो) समान कद वाला, (पुरोधागुणवाच्छित:) गुणोका वांछक (स्निग्धो) स्निग्ध और (गम्भीर) गम्भीर, (घोषश्च) स्वरवाला (सुमनाश्चा शुमान् बुध:) श्रेष्ठचित वाला और बुद्धिमान हो, (छायालक्षणपुष्टश्च) छायालक्षण से युक्त, पुष्ट शरीरवाला (सर्वणः) सुन्दर वर्ण वाला, (पुष्टक:) सुन्दर आकृति व (सुवाक्) सुन्दर भाषण वाला हो, (सबल:) बलवान हो (विद्वान्) विद्वान हो (क्रोधश्चयतिः शुचिः) अक्रोधी हो (हिंम्रो) शान्तचित हो (त्रिवर्ण:) द्विज हो (पिङ्गो वा) पिङ्गवर्ण वाला हो, (नीरोमा) लोभ रहित हो (छिद्रवर्जित:) चेचक के दाग से रहित हो, (रक्तश्मशुः) लाल मूंछ वाला हो (पिङ्गनेत्रो) पिङ्ग आँखें वाला हो (गौरस्तान:) गौर वर्ण, ताम्र-कांचनदेव वाला (पुरुषो) पुरुष ही (पुरोहित:) पुरोहित होता है।
भावार्थ—समान पद वाला, गुणों का वांछक श्रेष्ठचित वाला बुद्धिमान, छाया लक्षणो से युक्त याने शरीर लक्षणों से सहित हो, पुष्ट शरीर वाला, सुन्दर वर्ण वाला, सुन्दर आकृति वाला मितभाषी है, बलवान्, विद्वान्, क्रोध से रहित, हिंसाभाव से रहित द्विज पिङ्गवर्ण वाला लोभ रहित, चेचक के दाग से रहित लाल मूंछ वाला पिङ्ग आँखें वाला, गौर वर्ण और कांचन देह वाला पुरुष ही पुरोहित होता है। यहाँ पर आचार्यश्री ने राजा, वैद्य, ज्योतिषि और पुरोहित के लक्षण उपर्युक्त श्लोकों के अन्दर कहा है, इन चारों के आधार पर ही देश निर्भर रहता हैं, इसलिये बड़ी ही कुशलता से ऐसे पदवीधारियों का चुनाव करना चाहिये, अयोग्य व्यक्ति