Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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| भद्रबाहु संहिता |
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भावार्थयहाँ आचार्य उदाहरण देकर कह रहे हैं कि जैसे कोई वृद्ध पुरुष कारण को पाकर मर जाता है उसी प्रकार वृद्ध वृक्ष भी कारण पाकर मर जाता है॥३५॥
इतरेतरयोगास्तु वृक्षादि वर्ण नामभिः।
वृद्धाबलोन मूलाश्च चलच्छैाश्च साधयेत॥३६॥ (इतरेतरयोगास्तु) इतरेतरयोग से (वृक्षादि वर्णनामभिः) वृक्षों के वर्णों का नाम है उसमें (वृद्धाबलोग्र मूलाश्च) वृद्ध और बाल वृक्षों से संबध हो इसलिये उसी प्रकार जाने (चालयाश्च साधयेत्) उसी प्रकार का ज्ञान करे वैसा ही बनावे।
भावार्थ-जैसे पुराने वृक्ष और बुढ़े आदमी का इतरेतर संबध हो उसी प्रकार नवीन वृक्ष और वृद्ध वृक्ष का संबध है निमित्तज्ञानी को सब बातों का ज्ञान कर कहना चाहिये॥ ३६।।।
हसने रोदने नृत्ये देवतानां प्रसर्पणे।
महद्भयं विजानीयात् षण्मासाद्विगुणात्परम्॥३७॥ (देवतानां) देवताओं के (हसने) हँसने से (रोदने) रोने से (नृत्ये) नाचने से व (प्रसर्पणे) चलने से (षण्मासाद्विगुणात्परम्) छह महीने से लगाकर एक वर्ष तक (महद्रयं विजानीयात्) महान् भय उत्पन्न होगा।
भावार्थ-देवता की प्रतिमा के हँसने से, रोने से, नाचने से, चलने से समझो छह महीने से लगाकर एक वर्ष तक जनता में महान भय उत्पन्न होगा॥ ३७॥
चित्राश्चर्यसुलिङ्गानि निमीलन्ति वदन्ति वा।
ज्वलन्ति च विगन्धीनि भयं राजवधोद्भवम्॥३८॥ (चित्र) विचित्र (आश्चर्यसुलिङ्गानि) आश्चर्य कार्यचिह्न (निमीलन्ति) छुपा हुआ हो या (वदन्ति वा) प्रकट रूप (ज्वलन्ति च विगन्धीनि) और हीन गुट का वृक्ष सहसा जलने लगे तो (भय) भय उत्पन्न होगा (राजवधोद्भवम्) राजा का वध होगा।
भावार्थ-विचित्र आश्चर्य से सहित, सुलिङ्गरूप छुपा हुआ, बोलता हुआ और जलता हुआ हिंगुट का वृक्ष दिखे तो भय उत्पन्न होगा और राजा का मरण होगा॥३८॥