Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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चतुर्दशोऽध्यायः
भावार्थ — यदि इन्द्रधनुष रात्रि में दिखे वो भी सफेद दिखे तो ब्राह्मणों को मारेगा, लाल हो तो क्षत्रियों को मारेगा, पीला हो तो वैश्यों को मारेगा, काला दिखे तो समझो शूद्रों को महान मरण उत्पात होगा ॥ ५८ ॥
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भज्यते नश्यते तत्तु कम्पते शीर्यते चतुर्मासं परं राजा म्रियते भज्यते
जलम् ।
तदा ।। ५९ ।
यदि इन्द्रधनुष (भज्यते नश्यते तत्तु) टूटता है, नाश होता है (कम्पते) कम्पित होता है ( जलम् शीर्यते) अथवा जल की वर्षा करता हो तो (तदा) तब ( परं चतुर्मासं राजा म्रियते ) समझो चार मास में राजा की मृत्यु होगी, (भज्यते) अथवा इसके समान कष्ट होगा।
भावार्थ — यदि इन्द्रधनुष भग्र होता हुआ दिखे, नाश होता हुआ दिखे, कम्पित होता हुआ दिखे अथवा जल की वर्षा करता हुआ दिखे तो समझो चार महीने में राजा की मृत्यु होगी व मरण के समान कष्ट होगा ॥ ५९ ॥
पितामहर्षयः सर्वे सोमं च क्षत संयुतम् । विजानीयादुत्पातं
त्रैमासिकं
ब्राह्मणेषुवे ॥ ६० ॥
(पितामहर्षयः सर्वे सोमं च ) पिता, महर्षय और चन्द्रमा आदि सब ( क्षत संयुतम् ) क्षत-विक्षत से सहित दिखे तो (त्रैमासिकं उत्पातं ब्राह्मणेषु वै) तीन महीने में ब्राह्मणों में उत्पात (विजानीद्) जानना चाहिये |
भावार्थ-पिता, महर्षि, चन्द्रमा आदि सब क्षत-विक्षत दिखे तो समझो ब्राह्मणों को तीन महीने में उत्पात होगा ऐसा समझो ॥ ६० ॥
रूक्षा विवर्णा विकृता यदा सन्ध्या भयानका । मार्री कुर्युः सुविकृतां पक्षत्रिपक्षकं भयम् ॥ ६१ ॥
( यदा सन्ध्या) जब सन्ध्या ( रूक्षाविवर्णाविकृता) रूक्ष विवर्ण विकृत (भयानका ) भयानक (सु विकृतां ) और सुविकृत दिखे तो ( पक्ष त्रिपक्षकं मारीं कुर्युः भयम् ) पक्ष या तीन पक्ष में मारी का भय होगा ।
भावार्थ — जब सन्ध्या रूक्ष दिखे, विवर्ण दिखे, विकृत दिखे भयानक दिखे तो तीन पक्ष या एक पक्ष में ही मारी रोग का भय उत्पन्न होगा ।। ६१ ॥