Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
( सन्ध्यायां ) सांयकाल में (अध्रेषु) बादलों में (च) और (युद्धोपकरणेषु) युद्धके उपकरणों में (विवर्णेषु दृश्यमानेषु ) विवर्णता दिखलाई पड़ने पर (सद्य: संग्राममादिशेत्) शीघ्र ही संग्राम की सूचना मिलेगी ।
भावार्थ — सन्ध्याकाल के बादलों में और युद्धोपकरणों में अगर विवर्णता दिखलाई पड़े तो समझो शीघ्र ही युद्ध की सूचना मिलेगी ॥ १२८ ॥
३१०
कपिले रक्तपीते वा हरिते च तले स सद्य: परसैन्येन बध्यते
नाऽत्र
यदि ( चमूः) सेना (कपिले रक्तपीते वा) कपिल वर्ण के और लाल वर्ण के व पीले वर्ण के (च) और (हरिते ) हरे रंग के बादलों के ( तले) नीचे गमन करे तो ( स सद्यः पर सैन्येन बध्यते) वो सेना शीघ्र ही दूसरी सेना के द्वारा बांधी जायगी (नाऽत्र संशयः) इसमें कोई सन्देह नहीं है ।
भावार्थ — यदि सेना कपिल वर्ण के बादलों के नीचे अथवा लाल, पीले व हरे रंग के बादलों के नीचे जाती हुई दिखाई पड़े तो समझो वो सेना दूसरी सेना के द्वारा बाँधी जायगी ।। १२९ ।।
चमूः ।
संशयः ।। १२९ ।।
काका गृध्राः शृगालाश्च कङ्का ये चामिषप्रियाः । पश्यन्ति यदि सेनायां प्रयातायां भयं भवेत् ॥ १३० ॥ (काका) कौआ (गृध्रा :) गृद्ध, ( शृगालश्च) और शृगाल (कङ्का) चिड़ियादि (ये चामिषप्रियाः) जो मांस प्रिय है ऐसे जीव (यदि सेनायां पश्यन्ति ) यदि सेना को देखते हैं तो ( प्रयातायां भयं भवेत् ) प्रयाण करने वाली सेना को भय होगा ।
भावार्थ- प्रयाण करने वाली सेना को यदि कौआ, गिद्ध, शृगाल आदि मांसभक्षी पशु-पक्षी देखते हैं तो समझो सेना को भय उत्पन्न होगा ॥ १३० ॥
उलूका वा विडाला वा मूषका वा यदा भृशम् । वासन्ते यदि सेनायां निश्चितः स्वामिनो वधः ।। १३१ ॥
( यदि सेनायां ) यदि सेना के अन्दर (उलूका ) उल्लू (वा विडाला) व बिल्लीयाँ ( वा मूषका) व चूहा आदि ( पदाभृशम् ) अधिक मात्रा में ( वासन्ते) वास करे तो (निश्चित: स्वामिनोवधः ) निश्चित ही स्वामी का वध हो जायगा |