Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
ર૬૬
तीन दिनों तक ही उत्तम वर्षा होती है। यदि मार्गशीर्षमें उत्तरा, हस्त और चित्रा ये नक्षत्र सप्तमी तिथिको पड़ते हों और इसी तिथिको मेघ गर्भ धारण करें तो आषाढ़में केवल बिजली चमकती है और मेघोंकी गर्जना होती है। अन्तिम दिनोंमें तीन दिन वर्षा होती है। आषाढ़ शुक्ला अष्टमीको स्वाति नक्षत्र पड़े तो इस दिन महावृष्टि होनेका योग रहता है। मार्गशीर्ष कृष्णा दशमी, एकादशी और द्वादशी और अमावश्याको चित्रा, स्वाति, विशाखा नक्षत्र हों और इन तिथियोंमें मेघों ने गर्भधारण किया हो तो आषाढ़ी पूर्णिमाको घनघोर वर्षा होती है। जब गर्भका प्रसवकाल आता है, उस समय पूर्वमें बादल धूमिल, सूर्यास्तमें श्याम और मध्याह्नमें विशेष गर्मी रहती है। यह रक्षण प्र ल का । अण, भाद्रपद और आश्विनका गर्भ सात दिन या नौ दिनमें ही बरस जाता है। इन महीनोंका गर्भ अधिक वर्षा करनेवाला होता है। दक्षिणकी प्रबल हवाके साथ पश्चिमकी वायु भी साथ ही चले तो शीघ्र ही वर्षा होती है। यदि पूर्व पवन चले और सब दिशा धूम्रवर्ण हो जाये तो चार प्रहरके भीतर मेघ बरसता है। यदि उदयकालमें सूर्य पिघलाये गये स्वर्णके समान या वैडूर्य मणिके समान उज्ज्वल हो तो शीघ्र ही वर्षा करता है। गर्भकालमें साधारणत: आकाशमें बादलों का छाया रहना शुभ माना गया है। उल्कापात, विद्युत्पातद, धूलि, वर्षा, भूकम्प, दिग्दाह, गर्धवनगर, निर्यात शब्द आदिका होना मेघगर्भ कालमें अशुभ माना गया है। पंचनक्षत्र–पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, रोहिणी, पूर्वाभाद्रपदा, उत्तराभाद्रपदामें धारण किया गया गर्भ सभी ऋतु वर्षाका कारण होता है। शतभिषा, आश्लेषा, आर्द्रा, स्वाति, मघा इन नक्षत्रोंमें धारण किया गया गर्भ भी अधिक शुभ होता है। अच्छी वर्षाके साथ सुभिक्ष, शान्ति, व्यापार में लाभ और जनतामें सन्तोष रहता है। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रका गर्भ पशुओंके लिए लाभदायक होता है। इस गर्भका निमित्त नर और मादा पशुओंकी उन्नतिका कारण होता है । पशुओंके रोग-शोभादि नष्ट हो जाते हैं और उन्हें अनेक प्रकारसे लोग अपने कार्यों में लाते हैं। पशुओंकी कीमत भी बढ़ जाती है। देशमें कृषिका विकास पूर्णरूपसे होता है तथा कृषिके सम्बन्धमें नये-नये अन्वेषण होते हैं। पूर्वाषाढ़ामें गर्भधारण चार्तुमासमें उत्तम वर्षा होती है और माघके महीनेमें भी वर्षा होती है, जिससे फसलकी उत्पत्ति अच्छी होती है। पूर्वाषाढ़ाका गर्भ देशके निवासियोंके आर्थिक विकासका भी कारण बनता है! यदि इस नक्षत्रके मध्य में गर्भ धारणका कार्य होता है, तो प्रशासकके लिए हानि होती है तथा राजनैतिक दृष्टिसे उक्त प्रदेशका सम्मान गिर जाता है। उत्तराषाढ़ामें गर्भधारणकी क्रिया होती है तो भाद्रपदके महीनेमें अल्प वर्षा होती है, अवशेष