Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
View full book text
________________
३
२२३
एकादशोऽध्यायः
भावार्थ — पश्चिम दिशा की और सूर्यास्त समय में यदि काले रंग का गन्धर्व नगर दिखलाई पड़े तो समझो वहाँ के जीवों का वध होगा ऐसा जानो अथवा शूद्रों को भय उत्पन्न होगा ॥ ६ ॥
श्वेतं राज्ञो
सफेद रंगके गन्धर्व नगर का फल
गन्धर्व नगरं दिशं सौम्यां यदा भृशम्। विजयमाख्याति नगरच धनान्वितम् ॥ ७ ॥
( यदा) जब (सौम्यां ) उत्तर (दिशं) दिशामें ( श्वेतंगन्धर्वनगरं ) सफेद रंग के गन्धर्वनगर दिखाई पड़े तो ( राज्ञो) राजकी (विजय) विजय (आख्यात) कही गई हैं (च) और (नगर) नगर (धनान्वितम् ) धन सम्पन्न हो जाता है ।
भावार्थ — यदि सफेद रंग का गन्धर्व नगर उत्तर दिशा में दिखलाई पड़े तो समझो राजा की विजय होगी, नगर धन सम्पन्न हो जायगा ॥ ७ ॥
सभी दिशाओं के गन्धर्व नगर का फल
यदादिक्षु गन्धर्वनगरं वर्णा विरुध्यन्ते सर्वदिक्षु
सर्वास्वापि
सर्वो
भवेत् । परस्परम् ॥ ८ ॥
( यदा) जब ( सर्वास्वपि) सभी ही (दिशु) दिशाओं में (गन्धर्वनगरं भवेत् ) गन्धर्व नगर दिखे तो ( सर्वोवर्णा) सब वर्ण वाले (सर्वदिक्षु) सर्वदिशाओं में (परस्परम् ) परस्पर ( विरुध्यन्ते) विरोध करते हैं ।
भावार्थ — जब सभी ही दिशाओं में गन्धर्व नगर दिखलाई पड़े पड़े तो समझो सभी वर्ण वाले सभी दिशाओं में परस्पर विरोध करते है लड़ते-झगड़ते है ॥ ८ ॥
कपिल वर्ण के गन्धर्व नगर का फल कपिलं सस्यघाताय माञ्जिष्टं हरिणं अव्यक्तवर्ण कुरुते बल क्षोभं
गवाम् ।
न
संशयः ।। ९ ।। गन्धर्वनगर (कपिलं) कपिल वर्ण का हो तो ( सस्यघाताय ) धान्यघात का कारण है (माञ्जिष्ठं) माञ्जिष्ठ वर्ण का हो तो (हरिणं) हरिणों का व ( गवाम् )