Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
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भावार्थ-यदि गन्धर्व नगर आकाश में दिखलाई पड़े तो वर्षा अच्छी होती है अगर, शानों के बीच धर्म लगा दिखलाई पड़े तो भय उत्पन्न होगा, अग्नि के उपकरणों में दिखाई पड़े तो अग्नि का भय होगा, ऐसा कहा गया है।।२९ ।।
शुभाऽशुभं विजानीयाच्वातुर्वण्य यथा क्रमम्।
दिक्षु सर्वासु नियतं भद्रबाहुवचो यथा॥३०॥ (चातुर्वर्ण्य) चारो वर्ण वालों को (यथाक्रमम्) यथा क्रमसे (शुभाऽशुभं) शुभाशुभ को (विजानीयात्) जान लेना चाहिये जो (सर्वासुदिक्षुनियतं) सर्वदिशाओं के लिये (भद्रबाहुवचो यथा) भद्रबाहु स्वामी का ऐसा वचन है।
भावार्थ---भद्रबाहु स्वामी ने ऐसा कहा है कि चारों वर्ण को यथा क्रमसे गन्धर्व नगरों का फल शुभाशुभ रूपमें सर्वदिशा वालों को जान लेना चाहिये ।। ३०॥
उल्कावत् साधनंदिक्षु जानीयात् पूर्वकीर्तितम्।।
गन्धर्वनगरं सर्व यथा वदनुपूर्वशः ॥३१॥ (उल्कावत्) उल्काओं के (साधन) समान ही (दिक्ष) दिशाओंमें (गन्धर्वनगरं सर्व) सब गन्धर्व नगरों के लक्षणों को (पूर्वकीर्तितम्) जो पहले कह दिया गया है (जानीयात्) उसको जान लेना चाहिये। (यथावदनुपूर्वश:) जिस प्रकार पहले कहा।
भावार्थ—उल्काओं के समान जो पहले कह दिया गया है यहाँ पर भी जान लेना चाहिये, गन्धर्व नगरों का फल, वर्णन, लक्षण आदि पूर्व के समान ही मैंने यहाँ पर कहा है सो आपको जान लेना ।। ३१॥
विशेष वर्णन—इस अध्याय में आचार्य ने गन्धर्व नगर का वर्णन किया है, गन्धर्व नगर आकाश में बादलों के आच्छादित होने पर उन बादलों में नगर, महल आदिका आकार बनना उसी को आचार्य श्री ने गन्धर्व नगैर कहा है।
गन्धर्व नगर के दिखने पर क्रमश: पुरोहित राजा सेनापति और युवराज को कष्ट देने वाला होता है। यह गन्धर्व नगर सफदे, पीले, काले, नीले आदि वर्गों के होते हैं और इन वर्गों के गन्धर्व नगर दिखने पर क्रमश: ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शुद्र के ऊपर असर होता है और इन चारों ही वर्गों के लोगों को कष्ट होता है।