Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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पंचमोऽध्यायः
वसन्त ऋतुमें, (नीला:) नीली हो, (श्वेता) सफेद हो तो (न) नहीं (वर्षन्ति) वर्षा होती है।
भावार्थ-बिजली शिशिर ऋतु में याने माघ, फाल्गुन में नीले रंग की व पीले रंग की हो तो समझो वर्षा अच्छी होगी और वसन्त ऋतु, याने चैत्र, वैशाख में नीले रंग की अथवा सफेद रंग की होकर चमके तो समझो वर्षा नहीं बरसेगी ॥११॥
हरिता नामाच नीगो रूक्षाश्च निश्चलाः।
भवन्ति ताम्न गौराश्च वर्षास्वपि निरोधिकाः॥१२॥ (ग्रीष्मे) ग्रीष्मकाल में यदि बिजली, (हरिता) हरे रंग की (श्च) और (मधुवर्णा) मधु के वर्णकी हो (रक्षा) रूण हो (श्च) और निश्चल हो और भी (ताम्र) तांबे के रंग की हो, (गौरा) गौर वर्णकी (भवन्ति) होती है तो (वर्षास्वपि) वह वर्षा को (निरोधिका:) निरोधक होती है।
भावार्थ-यदि बिजली ग्रीष्मकाल में याने ज्येष्ठ और आषाढ़ में हरे रंग की अथवा मधु के वर्ण की होकर रूक्ष हो, निश्चल हो और भी ताम्रवर्ण की अथवा गौर वर्ण की होती है तो समझो यह बिजली वर्षा की निरोधक होती है वर्षा नहीं आएगी इसी प्रकार वर्षा ऋतु में भी समझना चाहिये श्रावण या भाद्रपद में।।१२।।
शारद्यो नाभि वर्षन्ति नीला वर्षाश्चविद्युतः।
हेमन्ते श्याम ताम्रास्तु ताडितो निर्जलाः स्मृताः ।।१३।। (नीला) नीले रंगकी (विद्युतः) बिजली (शारद्यो) शरद ऋतुमें हो तो (नाभि वर्षन्ति) वर्षा नहीं होती है (श्च) और (हेमन्ते) हेमन्त ऋतु में (श्याम) काले रंगकी (ताम्रास्तु) ताँबे के रंग की (तडितो) बिजली चमके तो (निर्जलास्मृता) स्मरण रखो वर्षा नहीं होगी।
भावार्थ-बिजली यदि शरद् ऋतुमें याने आश्विन, कार्तिक में नीले रंग की होकर चमके तो वर्षा नहीं बरसेगी, और हेमन्त ऋतु में याने मार्गशीर्ष और पौषमें काले रंग की या ताम्रके रंग की होकर चमके तो भी समझो वर्षा नहीं होगी ये बिजलियाँ वर्षा की निरोधक हैं॥१३॥