Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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पंचमोऽध्यायः
भावार्थ—यदि बिजली सफेद या रूक्ष होकर अग्नि कोण में चमके तो समझो अशनि वर्षा की सूचक है अगर लाल वर्ण की हो तो अवश्य हो अग्नि भय उत्पन्न होगा, ये दोनों ही हानिकार की बिजली अनिष्टकारक है अग्नि भय उत्पन्न करेगी।। १६ ।।
यदाश्वेताऽभ्रवृक्षस्य विद्युच्छिरसि संचरेत।
अथवा गृहयोर्मध्ये वात वर्ष सृजेन्महत्॥१७॥ (श्वेता) यदि सफेद (विद्युत) बिजली (अभ्रवृक्षस्य) आकाश वृक्ष को (छिरसि) चिरती हुई (संचरेत) गिरे तो, (महत) महान् (वात) वायु (वर्ष) और वर्षा (सृजेन्) का सृजन करती है।
भावार्थ—यदि सफेद रंग की बिजली आकाश से वृक्षों को चिरती हुई गिरे और दो ग्रहों के मध्य गिरे तो समझो बहुत तो वायु चलेगी और उसके साथ वर्षा भी बहुत होगी ।। १७॥
अथ चन्द्राद् विनिष्क्रम्य विद्युन्मंडलसंस्थिता।
श्वेताऽऽभा प्रविशेदक विन्द्यादुदकसंप्लवम् ॥१८॥ (अथ) अथ (चन्द्राद्) चन्द्रमा के अन्दर (विनिष्क्रम्य) निकल करके (विद्युत) बिजली (श्वेताऽऽभा) सफेद आभा वाली होकर (प्रविशेदक) (मंडल) मण्डल में (संस्थिता) स्थित हो जाती है तो (उदकसंप्लवम्) पृथ्वी पानी से संप्लव हो जायगी।
__ भावार्थ-यदि बिजली श्वेत बादलों से निकल कर चन्द्र मण्डल में प्रवेश करती हुई सूर्य मण्डल में स्थित हो जावे तो समझो पृथ्वी पर पानी ही पानी बरस जायेगा। याने घोर वर्षा की सूचक ये बिजली है॥१८॥
अथ सूर्याद् विनिष्क्रम्य रक्ता समलिना भवेत् ।
प्रविश्य सोमं वा तस्य तत्र वृष्टिर्भयङ्करा ॥१९॥ (अथ) अथ (सूर्याद) सूर्य मण्डलसे (विनिष्क्रम्य) निकलकर बिजली (रक्ता) लाल वर्णकी (समलिना) वो भी मलिन (भवेत्) होती है और (सोमं वा) चन्द्रमण्डलमें (प्रविश्य) प्रवेश करे तो (तस्य) उस जगह (तत्र) वहाँ पर (वृष्टिर्भयंकरा) भयंकर वृष्टि होगी।