Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
View full book text
________________
११९
षष्ठोऽध्यायः
दिखाई दे तो समझो जाते हुऐ युद्ध में राजा का अवश्य वध (मरण) होगा ऐसा भद्रबाहु स्वामी का वचन है ॥ १७ ॥
बालाभ्रवृक्षमरणं
कुमारामात्ययोर्वदेत् । एवमेवं च विज्ञेयं प्रतिराजं यदा भवेत् ॥ १८ ॥
( बालाऽभ्र) छोटेमोटे वृक्ष को उखड़ते हुऐ बादल दिखाई दे तो (कुमार) युवराज और (अमात्य) मन्त्रीका ( मरणं) मरण होगा ( वदेत्) ऐसा कहो (च) और ( एवमेवं ) इसी प्रकार ही ( विज्ञेयं) जानना चाहिये जो ( प्रतिराज्ञां ) प्रतिराजा को भी ( भवेत् ) होता है ।
भावार्थ — यदि बादल छोटेमोटे वृक्ष के आकार को धारण कर उखड़ते हुऐ दिखलाई दे तो समझो युवराज और मन्त्री दोनों का ही मरण होगा, यदि ऐसा निमित्त प्रतिराजा के और भी हो तो वहाँ भी ऐसा ही फल होगा ।। १८ ।।
तिर्यक्षु यानि गच्छन्ति रूक्षाणि च निवर्तयन्ति तान्याशु चमूं सर्वा
घनानि च ।
सनायकाम् ॥ १९॥
( तिर्यक्षु) तिरछे (यानि ) जो बादल (गच्छन्ति) जाते हुऐ (घनानि) घनरूप हो (च) और रूक्ष हो ( तान्याशु ) तब जानो, (सर्वां) सब ( चमूं ) सेना सहित ( सनायकाम) और उसके नायक सहित (निवर्तयन्ति ) समाप्त हो जाते हैं।
भावार्थ — यदि बादल रूक्ष हो, घन रूप हो, और तिरछे चलने वाले हो तो समझो सेना सहित नायक का भी मरण हो जायगा, याने इस युद्ध में न राजा बचेगा और न सेना ही सभी समाप्त हो जायगे ॥ १९ ॥
अभिद्रवन्ति घोषेण महता यां चमूं पुनः । सविद्युतानि चाऽभ्राणि तदा विन्द्याच्चमूषधम् ॥ २० ॥ (अभ्राणि), जो बादल ( अभिद्रवन्ति) भेदन नहीं करते हुऐ (महताघोषेण ) जोर-जोर से गर्जना करे (चा) और (सविद्युतानि ) बिजली से सहित हो (यां) जो फिर (चमूं) सेना के ऊपर (पुनः) पुन: पुन: बरसते हो तो (तदा) तब ( चमू) सेना का ( वधम् ) वध ( विन्द्यात्) जानो ।