Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
किरणोंको प्रकाशित करे तो घोर वर्षा होती है। इस प्रकारकी सन्ध्याका फल तीन दिनोंमें प्राप्त हो जाता है। यदि सन्ध्याके समय गन्धर्वनगर, कुहासा और धूम छाये हुए दिखलाई पड़े तो वर्षाकी कमी होती है। सन्ध्याकाल में शस्त्र धारण किये हुए नर रूपधारीके समान मेघ सूर्यके सम्मुख छिन्न-भिन्न हों तो शुत्रभय होता है। शुक्लवर्ण
और शुक्ल किनारेवाले मेघ सन्ध्या समयमें सूर्यको आच्छादित करें तो वर्षा होनेका योग समझना चाहिए। सूर्यके उदयकालमें शुक्ल वर्णकी परिधि दिखलाई दे तो राजाको विपद् होती है, रक्तवर्णसे सेनाको और कनकवर्णकी हो तो बल और पुरुषार्थकी वृद्धि होती है। यदि प्रात:कालीन सन्ध्याके समय सूर्यके दोनों ओरकी परिधि, यदि शरीरवाली हो जाय तो बहुत सा जल बरसता है और सब परिधि दिशाओंको घेर ले तो जल का कण भी नहीं बरसता। सन्ध्या कालमें मेघ, ध्वज, छत्र, पर्वत, हस्ती और घोड़ेका रूप धारण करें तो जयका कारण हैं और रक्तके समान लाल हों तो युद्धका कारण होते हैं। पलाल के धुएँके समान स्निग्ध मूर्तिधारी मेघ राजा लोगोंके बलको बढ़ाते हैं। सन्ध्याकालमें सूर्यका प्रकाश तीक्ष्ण आकार हो या नीचेकी ओर झुकमे आकार का हो तो मंगल होता है। सूर्यके सम्मुख होकर पक्षी, गीदड़ और मृग सन्ध्याकालमें शब्द करें तो सुभिक्षका नाश होता है, प्रजामें आपसमें संघर्ष होता है और अनेक प्रकारसे देशमें कलह एवं उपद्रव होते हैं।
यदि सूर्योदयकालमें दिशाएँ पीत, हरित और चित्र-विचित्र वर्णकी मालूम हों तो सात दिनमें प्रजामें भयंकर रोग, नील वर्णकी मालूम हो तो समय पर वर्षा
और कृष्ण वर्णकमी मालूम हो तो बालकोंमें रोग फैलता है। यदि सायंकालीन सन्ध्याके समय दक्षिण दिशामें मेघ आते हुए दिखलाई पड़ें तो आठ दिनों तक वर्षाभाव, पश्चिम दिशासे आते हुए मालूम पड़ें तो पाँच दिनोंका वर्षाभाव, उत्तर दिशासे आते हुए मालूम पड़ें तो खूब वर्षा और पूर्व दिशासे आते हुए मेघ गर्जन सहित दिखलाई पड़ें तो आठ दिनों तक घनघोर वर्षा होने की सूचना मिलती है। प्रात:कालीन और सांयकालीन सन्ध्याओंके वर्ग एक समान हों तो एक महीने तक मशाला और तिलहनका भाव सस्ता, सुवर्ण और चाँदीका भाव महँगा तथा वर्ण परिवर्तन हो तो सभी प्रकारकी वस्तुओं के भाव नीचे गिर जाते हैं।
ज्येष्ठ कृष्ण प्रतिपदाको प्रात:कालीन सन्ध्या श्वेतवर्णकी हो तो आषाढ़ में