Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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दशमोऽध्यायः
उठाना पड़ता हैं। धूल और कंकड़-पत्थर की वर्षा हो तथा चारों ओर बादल मैंडलाकार बन जावें तो निश्चयत: उस प्रदेशमें अकाल पड़ता है तथा पशुओंकी भी हानि होती है और अनेक प्रकारके कष्ट उठाने पड़ते हैं। प्रशासक वर्गके लिए उक्त प्रकारकी वर्षा भी कष्टकारक होती है।
यदि मघा और पूर्वाफाल्गुनीमें प्रथम वर्षा हो तो समयानुकूल वर्षा होती है, फसल भी उत्तम होती है। जनतामें सब प्रकारका अनम-चैन व्याप्त रहता है। कलाकार और शिल्पियोंके लिए उक्त नक्षत्रोंकी वर्षा कष्टप्रद है तथा मनोरंजनके साधनोंकी कमी रहती है। राजनैतिक और सामाजिक दृष्टिसे उक्त नक्षत्रोंकी वर्षा साधारण फल देती है। देशमें सभी प्रकारकी समृद्धि बढ़ती है और नागरिकमें अभ्युदयकी वृद्धि होती है। यद्यपि उक्त नक्षत्रोंकी वर्षा फसलकी वृद्धिके लिए शुभ है, पर आन्तारिक शान्तिमें बाधक होती है। भीतरी आनन्द प्राप्त नहीं हो पाता और आन्तरिक अशान्ति बनी ही रह जाती है। उत्तराफाल्गुनी और हस्त नक्षत्रमें प्रथम वर्षा होनेसे सुभिक्ष
और आनन्द दोनोंकी ही प्राप्ति होती है। वर्षा प्रचुर परिणाममें होती है, फसलकी उत्पत्ति भी अच्छी होती है। विशेषत: धानकी फसल खूब होती है। पशु पक्षियोंको भी शान्ति और सुख मिलता है। तृण और धान्य दोनोंकी उपज अच्छी होती है, आर्थिक शान्ति के विकास के उक्त नक्षत्रों के वर्षा होना अत्यन्त शुभ हैं गुड़ की फसल बहुत अच्छी होती है। तथा गुड़का भाव भी सस्ता रहता है। जूट की फसल साधारण होती है। इसका भाव भी आरम्भ में सस्ता पर, आगे जाकर तेज हो जाता है। व्यापारियोंके लिए भी उक्त नक्षत्रोंकी वर्षा सुखदायक होती है। साधारणत: व्यापार बहुत ही अच्छा चलता है। देशमें कल-कारखानोंका विकास भी अधिक होती है। चित्रा नक्षत्रमें प्रथम जलकी वर्षा हो तो वर्षा अत्यन्त कम होती है, परन्तु भाद्रपद और आश्विनमें वर्षाका योग अच्छा रहता है। स्वाति नक्षत्रमें प्रथतम वर्षा होनेसे मामूली वर्षा हो है। श्रावण मासमें अच्छा पानी बरसता है, जिससे फसल अच्छी हो जाती है। कार्तिकी फसल साधारण ही रहती है, पर चैत्री फसल अच्छी हो जाती है; क्योंकि उक्त नक्षत्रकी वर्षा आश्विनमासमें भी जलकी वर्षाका योग उत्पन्न करती है। यदि विशाखा और अनुराधा नक्षत्रमें प्रथम जलकी वर्षा हो तो उस वर्ष में खूब जलकी वर्षा होती है। तालाब और पोखर प्रथम जलकी वर्षासे