Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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| भद्रबाहु संहिता
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आर्थिक विकास, कला-कौशलकी वृद्धि; पेटका स्पर्श करता हुआ प्रश्न करे तो साधारण वर्षा, श्रावण और भाद्रपदमें अच्छी वर्षा, फसल साधारण, देशका आर्थिक विकास, अग्निभय, जलभय, बाढ़ आनेका भय; कमरका स्पर्श करता हुआ प्रश्न करे तो परिमित वर्षा, धान्यकी सामान्य उत्पत्ति, अनेक प्रकारके रोगोंकी वृद्धि, वस्तुओंके भाव महंगे; पाँवका स्पर्श करता हुआ प्रश्न करे तो श्रावणमें वर्षाकी कमी, अन्य महीनोंमें अच्छी वर्षा, फसलकी अच्छी उत्पत्ति जौ, और गेहूँकी विशेष उपज एवं जंघाका स्पर्श करता हुआ प्रश्न करे तो अनेक प्रकारके धान्योंकी उत्पत्ति, मध्यम वर्षा, देशमें समृद्धि, उत्तम फसल और देशका सर्वाङ्गीण विकास होता है। प्रश्नकालमें यदि मनमें उत्तेजना आवे, या किसी कारणसे क्रोधादि आ जावे तो वर्षाका अभाव समझना चाहिए। यदि किसी व्यक्तिको प्रश्नकाल में रोते हुए देखें तो चातुर्मासमें अच्छी वर्षा होती है, किन्तु फासतमें भी रहती है। व्यापारियोंके लिए भी यह वर्ष उत्तम नहीं होता। प्रश्नकालमें यदि काना व्यक्ति भी वहाँ उपस्थित हो और वह अपने हाथसे दाहिने कानको खुजला रहा हो तो घोर दुर्भिक्षकी सूचना समझनी चाहिए। विकृत अंगवाला किसी भी प्रकारका व्यक्ति वहाँ रहे तो वर्षाकी कमी ही समझनी चाहिए। फसल भी साधारण ही होती है। सौम्य और सुन्दर व्यक्तियोंका वहाँ उपस्थित रहना उत्तम माना जाता है।
इतिश्री पंचमश्रुत केवली दिगम्बराचार्य श्री भद्रबाहु स्वामी विरचित भद्रबाहु संहिता का विशेष वर्णन वर्षा का लक्षण व फल आदि का वर्णन करने वाली दशमो अध्याय का हिन्दी भाषानुवाद करने वाला क्षेमोदय टीका समाप्त।
(इति दशमोऽध्यायः समाप्तः)