Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाह संहिता
और चौनाके व्यापारमं साधारण लाभ होता है। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्रके आरम्भकी पाँच घाटियोंमें जल बरसे तो फसल मध्यम होती है। माघ मासमें वर्षाका अभाव होनेसे चैती फसलमें कमी आती है। यद्यपि चातुर्मासमें जल खूब बरसता है, फिर भी फसलमें न्यूनता रह जा है। अन्तिमकी घाटियोंमें जलकी वर्षा होनेसे अगहनमें पानीकी वर्षा हो है, फसल भी अच्छी उत्पन्न होती है। धानकी फसलमेरोग लग जाते हैं, फिर भी फसल मध्यम हो ही जाती है। यदि उक्त नक्षत्रके मध्य भागमें वर्षा हो तो अधिक जलकी वर्षा होती है तथा आवश्यकतानुसार जल बरसनेसे फसल बहुत उत्तम होती है। व्यापारियोंके लिए उक्त प्रकारकी वर्षा हानि पहुँचानेवाली होती है। यदि उत्तराभाद्रपद विद्ध पूर्वाभाद्रपदमें वर्षा आरम्भ हो तो शासकोंके लिए अशुभ कारक होती है तथा देशकी समृद्धि में भी कमी आती है।
उत्तराभाद्रपद नक्षत्रमें प्रथम वर्षा हो तो चातुर्मासमें अच्छी वर्षा होती है। फसल अधिक वृष्टिके कारण कुछ बिगड़ जाती है। कार्तिक मासमें आनेवाली फसलोंमें कमी होती है। चैती फसल अच्छी होती है। ज्वार और बाजाराकी उत्पत्ति बहुत कम होती है। उत्तराभाद्रपदके प्रथम चरणमें वर्षा आरम्भ होकर बन्द हो जाय तो कार्तिकमें पानी नहीं बरसता, अवशेष महीनोंमें वर्षा होती है। फसल भी उत्तम होती है। द्वितीय चरणमें वर्षा होकर तृतीय चरणमें समाप्त हो तो वर्षा समयानुकूल होती है और फसल भी उत्तम होती है। यदि उत्तराषाढ़ाके तृतीय चरणमें वर्षा हो तो चातुर्मासमें वर्षा होनेके साथ मार्गशीर्ष और माघमासमें भी पर्याप्त वर्षा होती है। चतुर्थचरणमें वर्षा आरम्भ हो तो भाद्रपद मासमें अत्यल्प पानी बरसता है। आश्विनमासमें साधारण वर्षा होती है। माघमें वर्षा होनेके कारण गेहूँ और चनेकी फसल बहुत अच्छी होती है। रेवती नक्षत्र में वर्षा आरम्भ हो तो भाव ऊँचा हो जाता है। वर्षा साधारणतः अच्छी होती है। श्रावणमासके शुक्लपक्षमें केवल पाँच दिन ही वर्षा होनेका योग रहता है। भाद्रपद और आश्विनमें यथेष्ट जल बरसता है। भाद्रपद मासमें वस्त्र और अनाज महँगे होते हैं। कार्तिक मासके अन्तमें भी जलकी वर्षा होती है। रेवती नक्षत्रके प्रथम चरणमें वर्षा होनेपर चातुर्मासमें यथेष्ट वर्षा होती है तथा पौष और माघमें भी वर्षा होने का योग रहता है। वस्तुओंके भाव अच्छे रहते हैं। गुड़के व्यापारमें अच्छा लाभ होता है। देशमें सुभिक्ष और सुख-शान्ति