Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
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ही विशेषरूपसे फल बतलाना है। यों तो पहलेके अध्यायों द्वारा भी वर्ष और सुभिक्ष सम्बन्धी फलादेश निरूपित किया गया है, पर इस अध्यायमें भी यही फल प्रतिपादित है। मेघोंकी आकृतियाँ चारों वर्णके व्यक्तियोंके लिए भी शुभाशुभ बतलाती हैं। अत: सामाजिक और वैयक्तिक इन दोनों ही दृष्टिकोणों से मेघों के फलादेशका विवेचन किया जायगा।
___ मेघोंका विचार ऋतुके क्रमानुसार करना चाहिए। वर्षा ऋतुके मेघ केवल वर्षाकी सूचना देते हैं। शरद् ऋतुके मेघ शुभाशुभ अनके प्रकारका फल सूचित करते हैं। ग्रीष्म ऋतुके मेघोंसे वर्षाकी सूचना तो मिलती ही है, पर ये विजय, यात्रा, लाभ, अलाभ, इष्ट, अनिष्ट, जीवन, मरण आदिको भी सूचित करते हैं। मेघोंकी भी भाषा होती है। जो व्यक्ति मेघोंकी भाषा—गर्जनाको समझ लेते हैं, वे कई प्रकार के महत्त्वपूर्ण फलादेशोंकी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। पशु, पक्षी और मनुष्योंके समान मेघोंकी भी भाषा होती है और गर्जन-तर्जन द्वारा अनेक प्रकारका शुभाशुभ प्रकट हो जाता है। यहाँ सर्व प्रथम ग्रीष्म ऋतुके मेघोंका निरूपण किया जायगा। ग्रीष्म ऋतुका समय फाल्गुनसे ज्येष्ठ तक माना जाता है। यदि फाल्गुनके महीनमें अंजनके समान काले-काले मेघ दिखलाई पड़ें तो इनका दर्शकों के लिये शुभ, यशप्रद और आर्थिक लाभ देनेवाला होता है। जिस स्थान पर उक्त प्रकारके मेघ दिखलाई पड़ते हैं, उस स्थान पर अन्नका भाव सस्ता होता है, व्यापारिक वस्तुओंमें हानि तथा भोगोपभोगी वस्तुएँ प्रचुर परिमाणमें उपलब्ध होती हैं। वस्त्रके भाव साधारणरूपसे कुछ ऊँचे चढ़ते हैं। स्निग्ध, श्वेत और मनोहर आकृतिवाले मेघ जनतामें शान्ति, सुख, लाभ और हर्ष सूचक होते हैं। व्यापारियोंको वस्तुओंमें साधारणतया लाभ होता है। अवशेष ग्रीष्म ऋतुके महीनों में सजल मेघ जहाँ दिखलाई पड़ें उस प्रदेशमें दुर्भिक्ष, अन्नकी फसलकी कमी, जनताको आर्थिक कष्ट एवं आपसमें मनमुटाव उत्पन्न होता है। चैत्र मासके कृष्णपक्षके मेघ साधारणतया जनतामें उल्लास, आगामी खेतीका विकास और सुभिक्षकी सूचना देते हैं। चैत्र कृष्ण प्रतिपदाको वर्षा करने वाले मेघ जिस क्षेत्रमें दिखलाई पड़ें तो उस क्षेत्र में आर्थिक संकट रहता है। हैजा और चेचक की बीमारी विशेष रूप से फैलती है। यदि इस दिन रक्त वर्णके मेघ आकाशमें संघर्ष करते हुए दिखलाई पड़ें तो वहाँ सामाजिक संघर्ष होता