Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता ।
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साँओन पछवा भादव पुरिया, आसिन बह ईसान । कात्तिक कन्ता सिकियोने डोलै, कहाँ तक रखवह धान ।। साँओन पछवा बह दिन चारि, चूल्हीक पाछाँ उपजै सारि। बरिसै रिमझिम निशिदिन वारि, कहिगेल वचन डाक परचारि॥ साँओन पुरिवा भादव पछवा आसिन बह नैर्ऋत। कात्तिक कन्ता सिकियोने डोले, उपजै नहि भरिबीत ॥ साँओन पुरिवा वह रविवार, कोदो मडुआक होय बहार । खोजत भेटै नहिं थोड़ो अहार, कहत बैन यह 'डाक' गोओर ॥ जो साँओन पुरवैआ बहै, शाली लागु करीन । भादव पछवा जो बहै होंहिं सकल नर दीन ।। साँओन बह जो बडदांसा, बीआ काटि करू मैं घासा । साँओन जो बह पुरवैया, बडद बेचिकैं कीनहु गैया ।।
अर्थ—यदि श्रावणमासमे पश्चिमीय हवा, भाद्रपदमासमें पूर्वीय हवा और आश्विन मासमें ईशान कोणकी हवा चले तो अच्छी वर्षा होती है तथा फसल भी बहुत उत्तम उत्पन्न होती है। श्रावणमें यदि चार दिनों तक पश्चिमीय हवा चले तो रात-दिन पानी बरसता है तथा अन्नकी उपज भी खूब होती है। यदि श्रावणमें पूर्वीय, भाद्रपदमें पश्चिमीय और आश्विनमें नैर्ऋत कोणीय हवा चले तो वर्षा नहीं होती है तथा फसलकी उत्पत्ति भी नहीं होती। यदि श्रावणमें पूर्वीय, भाद्रपदमें पश्चिमीय हवा चले तथा इस महीनेमें रविवार के दिन पूर्वीय हवा चले तो अनाज उत्पन्न नहीं होता और वर्षाकी भीर कमी रहती है। श्रावणमासमें पूर्वीय वायुका चलना अत्यन्त अशुभ समझा जाता है। अत: इस महीनेमें पश्चिमीय हवाके चलनेसे फसल अच्छी उत्पन्न होती है। श्रावणमासमें यदि प्रतिपदा तिथि रविवारको हो, और उस दिन तेज पूर्वीय हवा चलती हो तो वर्षाका अभाव आश्विनमासमें अवश्य रहता है। प्रतिपदा तिथिका रविवार और मंगलवारको पड़ना भी शुभ नहीं है। इससे वर्षाकी कमीकी और फसलकी बर्वादीकी सूचना मिलती है। भाद्रपदमासमें पश्चिमीय हवाका चलना अशुभ और पूर्वीय हवाका चलना अधिक शुभ माना गया है। यदि श्रावणी पूर्णिमा शनिवारको हो और इस दिन दक्षिणीय वायु चलती हो तो वर्षाकी कमी