Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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| भद्रबाहु संहिता
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श्रावण में पश्चिम की हवा, भाद्रपद में पूर्वीय हवा आश्विन में ईशान कोण की हवा चले तो वर्षा अच्छी होती है धान्योत्पती भी अच्छी होती है। आषाढ़ी पूर्णिमा को पश्चिमीय वायु जिस प्रदेश में चले तो उस प्रदेश में उपद्रव होता है, रोग का फैलाव होता है राजाओं में मतभेद पड़ता है।
वारों के अनुसार भी फलादेश होता है स्निग्ध, मन्द, सुगन्ध, दक्षिणीय वायु भी अच्छी होती ये वायु देश में सुख-शान्ति प्राप्त कराती है। व्यापारिक विभाग के लिये आचार्य कहते हैं कि आषाढ़ी पूर्णिमा को प्रात:काल की पूर्वीय हवा, मध्याह्न में दक्षिणीय वायु अपराह्न काल में पश्चिमीय हवा चले सांयकाल में उत्तरीय हवा चले तो सर्राफो को स्वर्ण में सवाया लाभ होता है। इसी प्रकार अन्य तरह से भी जान लेना चाहिये।
आगे डॉ. नेमीचन्द का अभिप्राय भी यहाँ देना अच्छा समझाता हूँ।
विवेचन-वायुके चलने पर अनेक बातोंका फलादेश निर्भर है। वायु द्वारा यहाँ पर आचार्यने केवल वर्षा, कृषि और सेना, सेनापति, राजा तथा राष्ट्रके शुभाशुभत्वका निरूपण किया है। वायु विश्वके प्राणियोंके पुण्य और पापके उदयसे शुभ और अशुभ रूपमें चलता है। अत: निमित्तों द्वारा वायु जगत्के निवासी प्राणियोंके पुण्य और पापको अभिव्यक्त करता है। जो जानकार व्यक्ति हैं, वे वायुके द्वारा भावी फलको अवगत कर लेते हैं। आषाढ़ी प्रतिपदा और पूर्णिमा ये दो तिथियाँ इस प्रकारकी हैं, जिनके द्वारा वर्षा, कृषि, व्यापार, रोग, उपद्रव इत्यादिके सम्बन्धमें जानकारी प्राप्त की जा सकती है। यहाँ पर प्रत्येक फलादेशका क्रमश: निरूपण किया जाता है।
वर्षा सम्बन्धी फलादेश-आषाढ़ी प्रतिपदाके दिन सूर्यास्तके समयमें पूर्व दिशामें वायु चले तो आश्विन महीनेमें अच्छी वर्षा होती है तथा इस प्रकारके वायुसे अगले महीनेमें भी वर्षाका योग अवगत करना चाहिए। रात्रिके समय जब आकाशमें मेघ छाये हुए हों और धीमी-धीमी वर्षा हो रही हो, उस समय पूर्वका वायु चले तो भाद्रपद मासमें अच्छी वर्षाकी सूचना समझनी चाहिए। इस तिथिको यदि मेघ प्रातःकालसे ही आकाशमें हों और वर्षा भी हो रही हो, तो पूर्व दिशाका वायु चातुर्मासमें वर्षाका अभाव सूचित करता है। तीव्र धूप दिन भर पड़े और पूर्व दिशाका वायु दिन भर चलता रहे तो चातुर्मास में उत्तम वर्षाका योग होता है। आषाढ़ी