Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
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भावार्थ-यदि सेना के ऊपर बादल बहुत ही गर्जना करते हुऐ बिजली सहित चमके तो समझो राजा की सेना का नाश होगा, राजा की सेना में कोई नहीं बचेगा ।। २०॥
रुधिरोदक वर्णानि निम्बगन्धीनि यानि च।
व्रजन्त्य भ्राणि अत्यन्तं सङ्ग्रामं तेषु निर्दिशेत् ॥ २१ ॥ (याने मानि (हिमोदका वन कधिर रंगके समान (च) और (निम्बगन्धीनि) नीम जैसी गन्ध आती हो ऐसी यदि वर्षा बरसते हुऐ (अभ्राणि) बादल (व्रजन्त्य) जाते हुऐ दिखे तो (तेषु) वहाँ पर (अत्यन्त) बहुत ही (सङ्ग्राम) युद्ध होगा (निर्दिशेत्) ऐसा निर्देश हैं।
भावार्थ-यदि बादल रुधिर के रंग के वर्ण का पानी बरसावे और उस पानी में नाम के समान गन्ध आवे और बादल जाते हुए दिखाई दे तो समझो वहाँ पर बहुत भारी युद्ध होगा।॥ २१॥
विस्वरं रखमाणाश्च शकुना यान्ति पृष्ठतः।
यदा चाभ्राणि धूम्राणि तदा विन्द्यान्महद् भयम् ।। २२॥ (विस्वरं) शब्द रहित (रवमाणाश्च) या शब्द सहित शकुन के समान (धूम्राणि) धुएं के लिये हुऐ, (यदा चाभ्राणि) यदि बादल (पृष्ठतः) पीछे से (यान्ति) आते हुऐ दिखाई दे तो, (तदा) तब (महद्) बहुत ही (भयम्) भयको (विन्द्यात्) जानो।
भावार्थ-यदि बादल शब्द रहित हो, या शब्द सहित हो और शकुन के समान धुएं से सहित जाते हुए दिखाई दे तो समझो वहाँ पर बहुत ही भय उत्पन्न होने वाला है।। २२।।
मलिनानि विवर्णानि दीप्तायां दिशि यानि च।
दीप्तान्येव यदायान्ति भय माख्यान्त्युपस्थितम्॥ २३ ।। बादल (मलिनानि) मलीन हो, (विवर्णानि) विवर्ण हो, (दीप्तायां) सूर्य की (दिशि) दिशा में (च) और (यानि) उस तरफ ही, (दीप्तान्येव) याने सूर्य की तरफ हो (यदा यान्ति) जब दिखे तो (भयमाख्यान्त्य) समझो महान भय (उपस्थितम्) उपस्थित होगा।