Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
View full book text
________________
| भद्रबाहु संहिता ।
१२८
वर्षा हो रही हो तो आगामी वर्षमें दुष्कालकी सूचना समझनी चाहिए। आषाढ़ कृष्णा प्रतिपदाके दिन आकाशमें बादलोंका आच्छादित होना तो उत्तम होता है, पर पानीका बरसना अत्यन्त अनिष्टप्रद समझा जाता है। इस दिन अनेक प्रकारके निमित्तोंका विचार किया जाता है—यदि रातमें उत्तर दिशामें शृगाल मन्द-मन्द शब्द करते हुए बोले तो आश्विन गारमें बना अभाव होता है तथा समस्त खाद्य पदार्थ महँगे होते हैं। तेज धूपका पड़ना श्रेष्ठ समझा जाता है और यह लक्षण सुभिक्षका द्योतक होता है। आषाढ़ कृष्णा द्वितीयाको पर्वत, या समुद्रके आकारमें उमड़ते हुए बादल एकत्रित हों और गर्जना करें, पर वर्षा न हो तो साधारणत: अच्छा समझा जाता है। आगामी श्रावण और भाद्रपदमें वर्षा होती है। आषाढ़ कृष्णा द्वितीयाको सुन्दर द्विपदाकार मेघ आकाशमें अवस्थित हों तो उत्तम समझा जाता है। वर्षा भी उत्तम होती है तथा आगामी वर्ष फसल भी अच्छी होती है। यदि आषाढ़ कृष्ण द्वितीया को सोमवार हो और इस दिन श्रवण नक्षत्र हो तो उक्त प्रकारके मेघका विशेष फल प्राप्त होता है। तिलहनकी उत्पत्ति प्रचुर परिमाणमें होती है तथा पशुधनकी वृद्धि भी होती रहती है। इस तिथिको मेघाच्छन्न आकाश होने पर रात्रिमें शूकर
और जंगली जानवरों का कर्कश शब्द सुनाई पड़े तो जिस नगरके व्यक्ति इस शब्दको सुनते हैं, उसके चारों ओर दस-दस कोशकी दूरी तक महामारी फैलती है। यह फल कार्तिक मासमें ही प्राप्त होता है, सारा नगर कार्तिकमें वीराना हो जाता है। फसल भी कमजोर होती है और फसलको नष्ट करनेवाले कीड़ोंकी वृद्धि होती है। यदि उक्त तिथिको प्रात:काल आकाश निरभ्र हो और सन्ध्या समय रंग-बिरंगे वर्णके बादल पूर्वसे पश्चिमकी ओर गमन करते हुए दिखलाई पड़ें तो सात दिनोंके उपरान्त घनघोर वर्षा होती है तथा श्रावण महीने में भी खूब वर्षा होनेकी सूचना समझनी चाहिए। यदि उक्त तिथिको दिन भर मेघाच्छन्न आकाश रहे और सन्ध्या समय निरभ्र हो जाय तो आगामी महीनेमें साधारण जलकी वर्षा होती है तथा भाद्रपदमें सूखा पड़ता है।
___ आषाढ़ कृष्ण तृतीयाको प्रात:काल ही आकाश मेघाच्छन्न हो जाय तो आगामी दो महीनोंमें अच्छी वर्षा होती है तथा विश्वमें सुभिक्ष होनेकी सूचना समझनी चाहिए। काले रंगके अनाज महँगे होते हैं और श्वेत रंगकी सभी वस्तुएँ सस्ती होती हैं।