Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
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भावार्थ-अथ सूर्य मण्डल से निकल कर बिजली लाल वर्ण की होती हुई मलिन दिखे फिर चन्द्र मण्डल में प्रवेश करती हुई दिखलाई दे तो समझो वहाँ पर भयंकर वर्षा होगी ।। १९॥
विद्युतं तु यथा विद्युत् ताडयेत् प्रविशेद् यदा।
अन्योऽन्यं वा लिखेयातां वर्ष विन्द्यात् तदाऽशुभम् ॥२०॥ (विद्युतं तु) विद्युत ही (यथा विद्युत) विद्युत को (ताडयेत्) ताडित करे और (यदा) जब (अन्योऽन्यं) एक-दूसरेमें (प्रविशेद) प्रवेश करती हुई (वा लिखेयातां) दिखे तो (विद्यात्) समझो (तदाऽशुभम्) वहाँ पर शुभ और वर्षा होगी।
भावार्थ--अगर बिजली ही बिजली को ताड़ित करता हुई एक-दूसरे में प्रवेश करती हुई दिखाई दे तो समझो वहाँ पर वर्षा होगी, शुभ होगा ॥२०॥
राहुणां संवृतं चंद्रमादित्यं चापि सर्वतः।
कुर्यात् विद्युत यदा सा भ्रा तदा सस्यं न रोहति ।। २१॥
(राहणा) राहु के द्वारा (चंद्रम्) चन्द्रमा को (आदित्यं) केतु के द्वारा (आदित्यं) सूर्य को (यदा) जब (विद्युत) बिजली (संवृत) संवृत करे (साभ्रा) आकाश बादलों में तो (तदा) तब (सस्य) धान्य (न) नहीं (रोहति) उगते है।
भावार्थ-यदि बादलों में बिजली राहु के द्वारा चन्द्र को केतु के द्वारा सूर्य को आच्छादित करती हुई चमके तो समझो उस देश के खेतों में धान्य उत्पन्न नहीं होगा, याने वहाँ पर वर्षा नहीं होगी तो धान्य कहाँ से उगेगा॥२१॥
नीला ताम्रा च गौरा च श्वेता चाऽभ्रान्तरं चरेत् ।
सघोषा मन्दघोषा वा विन्द्यादुदकसंप्लवम् ।। २२ ।। (नीला) नीले रंग के (ताम्रा) ताँबे के रंग के (गौरा) गौर वर्ण के (च) और (श्वेता) सफेद रंग के (चाऽभ्रान्तरं) बादलों में बिजली (सघोषा) शब्द करती हुई (मन्दघोषा वा) व कम शब्द करती हुई चमके तो (विन्द्याद्) जानो (उदकसंप्लवम्) वर्षा अच्छी होगी।
भावार्थ-नीले रंग के बादल व ताम्र रंग के बादल व गौर वर्ण के बादल