Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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तृतीयोऽध्यायः
में तथा रवि, गुरु, सोम और शनि इन वारों में उल्कापात हो तो कृषि में फसल पकने के समय रोग लगता है। इस प्रकार के उल्कापात में गेहूँ, जौ, धान और चने की फसल अच्छी होती है। तथा अवशेष धान्य की फसल बिगड़ती है। वृष्टिका भी अभाव रहता है। शनिवार को दक्षिण की ओर बिजली चमके तथा तत्काल ही पश्चिम दिशा की ओर उल्का पतित हो तो देश के पूर्वीय भाग में बाढ़, तूफान, अतिवृष्टि आदि के कारण फसल को हानि पहुँचती है तथा इसी दिन पश्चिम की ओर बिजली चमके और दक्षिण दिशा की ओर उल्कापात हो तो देश के पश्चिमीय भाग में सुभिक्ष होता है। इस प्रकार का उल्कापात कृषि के लिए अनिष्टकर ही होता है। संहिताकारों ने कृषि के सम्बन्ध में विचार करते समय समय-समय पर पतित होने वाली उल्काओं के शुभाशुभत्वका विचार किया है। बराहमिहिर के मतानुसार पुष्य, मघा, तीनों उत्तरा इन नक्षत्रों में गुरुवार की सन्ध्या या इस दिन की मध्यरात्रि में चने के खेत पर उल्कापात हो तो आगामी वर्ष की कृषि के लिए शुभदायक है। ज्येष्ठ महीने की पूर्णमासी के दिन रात को होने वाले उल्कापात से आगामी वर्ष के शुभाशुभ फलको ज्ञात करना चाहिए। इस दिन अश्विनी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु, आश्लेषा, पूर्वाफाल्गुनी और ज्येष्ठा नक्षत्र को प्रताडित करता हुआ उल्कापात हो तो फसल के लिए खराबी होती है। यह उल्कापात किसी के लिए अनिष्ट का सूचक है। शुक्रवार को अनुराधा नक्षत्र में मध्यरात्रि में प्रकाशमान उल्कापात हो तो कृषि के लिए उत्तम होता है। इस प्रकार के उल्कापात द्वारा श्रेष्ठ फसल की सूचना समझनी चाहिए। श्रवण नक्षत्र का स्पर्श करता हुआ उल्कापात सोमवार की मध्यरात्रि में हो तो गेहूँ और धान की फसल उत्तम होती है। श्रवण नक्षत्र में मंगलवार को उल्कापात हो तो गन्ना अच्छा उत्पन्न होता है, और चनेकी फसल में रोग लगता है। सोमवार, गुरुवार और शुक्रवार को मध्यरात्रि में कड़क के साथ उल्कापात हो तथा इस उल्का का आकार ध्वजा के समान चौकोर हो तो आगामी वर्ष में कृषि अच्छी होती है; विशेषत: चावल और गेहूँ की फसल उत्तम होती है। ज्येष्ठ मास की शुक्लपक्ष की एकादशी, द्वादशी और त्रयोदशी को पश्चिम दिशा की ओर उल्कापात हो तो फसल के लिए अशुभ समझना चाहिए। यहाँ इतनी विशेषता है कि उल्का का आकार त्रिकोण होने से यह फल यथार्थ