Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
वर्षा विशेष रूपसे होती है। फसल भी अच्छी होती है। अन्नका भाव भी सस्ता रहता है। श्रावण कृष्ण प्रतिपदाको पक्षमा सानिमें चन्द्रमाका परिवेष दिखलाई पड़े तो अगले आठ दिनोंमें वर्षाका अभाव समझना चाहिए। यदि यह परिवेष श्वेत वर्णका हो तो श्रावण भर वर्षा नहीं होती। कड़ाकेकी धूप पड़ती है, जिससे अनेक प्रकारकी बीमारियाँ भी फैलती हैं। उदयकालीन चन्द्रमाको श्रावण कृष्ण द्वितीयाके दिन परिवेष वेष्टित करे तो वर्षा अच्छी होती है। किन्तु गुर्जर, द्राविड़ और महाराष्ट्रमें वर्षाका अभाव सूचित होता है। वर्षा ऋतुमें ग्रहों और नक्षत्रोंकी जिस दिशामें परिवेष हो उस दिशामें वर्षा अधिक होती है, फसल भी अच्छी होती है। श्रावण कृष्णा सप्तमीको उदय कालमें चन्द्र परिवेष दिखलाई पड़े तो वर्षा सामान्यत: अल्प समझनी चाहिए। यदि प्रात:काल चन्द्रास्तके समय ही इस दिन परिवेष दिखलाई पड़े तो वर्षा अगले पाँच दिनोंमें खूब होती है। यदि त्रिकोण परिवेष श्रावण कृष्णा तृतीयाको दिखलाई पड़े तो वर्षाका अभाव, दुर्भिक्ष और उपद्रव समझना चाहिए। नक्षत्रोंका परिवेष भी होता है। श्रावणमासमें नक्षत्रोंका परिवेष हो तो वर्षाका अभाव उस देशमें अवगत करना चाहिए। यदि श्रावण मासकी किसी भी तिथिमें चन्द्र परिवेष चन्द्रोदय से लेकर चन्द्रस्त तक बना रहे तो श्रावण और भाद्रपद इन दोनों ही महीनोंमें वर्षाका अभाव रहता है। आश्विन मासमें किसी भी तिथिको चन्द्रोदय काल या चन्द्रास्त कालमें चक्रपरिवेष दिखलाई पड़े तो वह फसल के लिए अच्छाई की सूचना देता है। वर्षा कम होनेपर भी फसल अच्छी उत्पन्न होती है। ज्येष्ठ, वैशाख और चैत्र महीनेका परिवेष घोर दुर्भिक्ष की सूचना देता है। इन तीनों महीनोंमें चन्द्रादयकालमें या चन्द्रास्तकालमें परिवेष दिखलाई पड़े तो फसलके लिए अत्यन्त अनिष्टकारक समझना चाहिए। उक्त महीनोंकी प्रतिपदाविद्ध पूर्णिमाको परिवेष दिखलाई पड़े तो वर्षा के लिए उस वर्ष हा हाकार होता रहता है। बादल आकाशमें व्याप्त रहते हैं, पर वर्षा नहीं होती। तृण और घासकी भी कमी होती है जिससे पशुओंको भी कष्ट होता है। द्वितीयाविद्ध प्रतिपदाको परिवेष हो तो साधारण वर्षा होती है। द्वितीयाविद्ध पूर्णिमामें चन्द्रपरिवेष दिखलाई पड़े तो उस वर्ष निश्चयत: सूखा पड़ता है। कुंओंका पानी भी सूख जाता है। फसलका अभाव ही उस वर्ष रहता है।।
सूर्य परिष का फल-यदि सूर्योदय काल में ही सूर्य परिवेष दिखलाई