Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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पचमोऽध्यायः
रश्मिवती मेदिनी भाति विधुदपरदक्षिणे।
हरिता भाति रोमाञ्चं सोदकं पातयेद् बहुम् ॥ ६॥ (मेदिनी) पृथ्वीको (रश्मेिवती) प्रकाशमान करती हुई (भाति) दिखे तो उसको रश्मिवती कहती है, (विधुदपरदक्षिणे) अगर विद्युत नैर्ऋत्य कोण में चमके (हरिता) हरे रंगके (भाति) समान चमके (रोमाञ्चं) और रोम सहित हो तो (बहुम्) बहुत (सोदकं) पानी (पातयेद्) गिरानेवाली होती है।
भावार्थ-यदि विद्युत धरा को प्रकाशमान करती हुई दिखे तो उस बिजली को रश्मिवती कहती है नैर्ऋत्य कोण में चमकती हुई बिजली रोमाच लिये हुऐ हो तो उसको हरिता कहते है, इसका रंग हरा होगा, इस प्रकार बिजली चमकने का फल शीघ्र ही बहुत पानी की वर्षा होगी ऐसा समझना चाहिये॥६॥
अपरेण तु या विधुच्चरते चोत्तरामुखी।
कृष्णाभ्रसंश्रिता स्निग्धा साऽपि कुर्याञ्जलागमम्॥७॥ (अपरेणतुया) जो पश्चिम दिशामें चमके (चोत्तरामुखी) और उत्तरामखी होकर (विद्युच्चरते) बिजली चमके (साऽपि) और भी (स्निग्धा) स्निग्ध होकर (कृष्णाभ्रसंश्रिता) काले बादलों से सहित हो तो (जलागमम्) जलके आगमनको (कुर्याद्) करने वाली होती है।
भावार्थ-ये चार प्रकार की बिजली भी शीघ्र वर्षा होने की सूचना देती है, जैसे पश्चिम दिशामें चमके, उत्तराभिमुखी होकर चमके, हरिता हो और स्निग्धा हो, इस प्रकार की अगर बिजलियाँ चमकती हुई दिखलाई पड़े तो आप समझो पृथ्वी पर पानी ही पानी वर्षा के द्वारा होने वाला है।॥७॥
अपरोत्तरा तु या विद्युन्मन्द तोया हि सा स्मृता।
उदीच्या सर्व वर्णस्था रूक्षा तु सा तु वर्षति॥८॥ (या) जो (विद्युन्) बिजली (अपरोत्तरा तु) वायव्य कोण हो तो (मन्द तोया हि) थोड़ी वर्षा करेगी (सा स्मृता) ऐसा याद रखना चाहिये। (उदीच्या) उत्तर दिशा में चमकने वाली बिजली (सर्व वर्णस्था) चाहे कि सभी रंग की हो (रूक्षा तु) रूक्ष भी हो तो भी (सा तु वर्षति) वह वर्षा लायेगी ही लायेगी।