Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
View full book text
________________
भद्रबाहु संहिता
का विस्तार पूर्वक उनका नाम, फलादिक का वर्णन करूँगा, सौदामिनी और पूर्वा बिजली शुभ है, निरभ्रा, मिश्रकेशी और क्षिप्रगा, याने शीघ्रगमन करने वाली, अशनि, वज्रके समान, इतने नामवाली बिजली को वर्षा भी कहते हैं और शीघ्र वर्षा को लाने वाली होती है ऐसा जानना चाहिये इन सबका स्वरूप अपनी-अपनी निरुक्ती के द्वारा जान लेना चाहिये ।। २-३।।
स्निग्धा स्निग्धेषु चाभेषु विद्युत् प्राच्या जलावहा।
कृष्णा तु कृष्ण मार्गस्थ वात वर्षावहा भवेत् ।। ४॥ (चाभ्रषु) यदि आकाशमें (विद्युत) बिजली (प्राच्या) पूर्वदिशा की ओर (स्निग्धा) स्निग्ध होकर चमकती है तो (स्निग्धेषु) उसको स्निग्ध कहते है और वो (जलावहा) वर्षा को बरसाने वाली होती है, (कृष्ण) काले बादलों के साथ (मार्गस्था) चलती हुई हो तो, उसको कृष्णा कहते है वह (वात) वायु के साथ (वर्षा) वर्षा को (वहा) लाने वाली (भवेत्) होती है।
भावार्थ-यदि आकाश में स्निग्धा बिजली चमके और वो भी पूर्व दिशामें तो अच्छी वर्षा होगी, जब वृद्धि लाने वाली बिजलीको स्निग्धा कहते हैं। काले बादलों के साथ चमके तो कृष्णा बिजली कहते हैं और ऐसी बिजली अग्निकोण में चमके तो जोर से वायु चलेगी ऐसा समझना चाहिए ।। ४ ।।
अथ रश्मिगतोऽस्निग्धा हरिता हरितप्रभा।
दक्षिणा दक्षिणावर्ता कुर्यादुदक संभवम् ॥५॥ (अथ) अथ (रश्मिगतो) चमक से रहित बिजली (अस्निग्धा) अस्निग्धा कही जाती है जिसकी (हरितप्रभा) हरी प्रभा हो उसको (हरिता) हरिता कहते हैं (दक्षिणावर्ता) दक्षिण दिशा से चमकने वाली को (दक्षिणा) दक्षिणा कहते हैं (दुदक) वर्षा को (संभवम्) सम्भवत (कुर्याद) वर्षा करने वाली होती है।
भावार्थ-चमक से रहित बिजली को अस्निग्धा कहते है, हरितप्रभा बिजली को हरिता कहते हैं इसकी प्रभा हरे रंग की होगी, और दक्षिण दिशामें चमकने वाली बिजली को दक्षिणा कहते है, ये बिजलियाँ शीघ्र ही वर्षा के आने की सूचना देती है समझो जल वृष्टि होगी॥५॥