Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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चतुर्थोऽध्यायः
पड़े तो साधारणत: वर्षा होनेकी सूचना देता है। मध्याह्नमें परिवेष सूर्यको घेरकर मण्डलाकार हो जाय तो आगामी चार दिनोंमें घोर वर्षाकी सूचना देता है। इस प्रकारके परिवेषसे फसलभी अच्छी होती है। सूर्यके परिवेष द्वारा प्रधान रूपसे फसलका विचार किया जाता है। यदि किसी भी दिन सूर्योदयसे लेकर सूर्यास्त तक परिवेष बना रह जाय तो घोर दुर्भिक्षका सूचक समझना चाहिए। दिनभर परिवेषका बना रह जाना वर्षाका अवरोधन भी करता है तथा अनेक प्रकार की विपत्तियोंकी भी सूचना देता है। वर्षा ऋतुमें सूर्यका परिवेष प्रायः वर्षा सूचक समझा जाता है। वैशाख और ज्येष्ठ इन महीनोंमें यदि सूर्यका परिवेष दिखलाई पड़े तो निश्चयत: फसल की बर्बादी का सूचक होता है। उस वर्ष वर्षा भी नहीं होती और यदि वर्षा होती है तो इतनी अधिक और असामायिक होती है, जिससे फसल मारी जाती है। इन दोनों महीनोंका सूर्यका परिवेष मंगलावार, शनिवार और रविवार इन तीन दिनोंमें से किसी दिन हो तो संसार के लिए महान् भयकारक, उपद्रवसूचक और दुर्भिक्षकी सूचना समझनी चाहिए। सूर्यका परिवेष यदि आश्लेषा, विशाखा और भरणी इन नक्षत्रोंमें हो तथा सूर्य भी इन नक्षत्रों में से किसी एक पर स्थित हो तो इस परिवेष का फल फसलके लिए अत्यन्त अशुभसूचक होता है। अनेक प्रकारके उपाय करने पर भी फसल अच्छी नहीं हो पाती। नाना वर्णका परिवेष सूर्यमण्डलको अवरुद्ध करे अथवा अनेक टुकड़ोंमें विभक्त होकर सूर्यको आच्छादित करे तो उस वर्ष में वर्षाका अभाव एवं फसल की बर्बादी समझनी चाहिए। रक्त अथवा कृष्णवर्णका परिवेष उदय होते समय सूर्य को आच्छादित कर ले तो फसल का अभाव और वर्षा की कमी सूचित होती हैं। मध्याह्न में सूर्य को कृष्ण वर्ण का परिवेष आच्छादित करे तो दाल वाले अनाजों की उत्पत्ति अधिक तथा अन्य प्रकार के अन्य अनाज कम उत्पन्न होते है। मवेशी को कष्ट भी इस प्रकार के परिवेष से समझना चाहिए। यदि रक्तवर्णका परिवेष सूर्यको आच्छादित करे और सूर्यमण्डल श्वेतवर्णका हो जाय तो इस प्रकारका परिवेष श्रेष्ठ फसल होनेकी सूचना देता है। आषाढ़, श्रावण और भाद्रपद मासमें होनेवाले परिवेषोंका फलादेश विशेष रूपसे घटित होता है। यदि
आषाढ़ शुक्ला प्रतिपदाको सन्ध्या समय सूर्यास्त कालमें परिवेष दिखलाई पड़े तो फसलका अभाव, प्रात: सूर्योदयकालमें परिवेष दिखलाई पड़े तो अच्छी फसल एवं