Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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| तृतीयोऽध्यायः ।
भावार्थ-यदि जिस सेना में उल्का नीलरंग की महाप्रभा को धारण करती हुई गिरे तो समझो उस सेना का सेनापति मरेगा, याने सेनापति का मरण अवश्य होगा ऐसा आचार्य ने सब जगह सूचित किया है इस का ऐसा ही फल होता है॥४९॥
उल्कास्तु लोहिता: सूक्ष्मा: पतन्स्यः पृतनां प्रति।
यस्य राज्ञः प्रपद्यन्तं कुमारो हन्ति तं नृपम् ॥५०॥ (उल्कास्तु) उल्का (लोहिताः) लाल रंग की (सूक्ष्मा:) सूक्ष्म होकर (पृतनांप्रति) जिस राजा की सेना के प्रति (पतन्त्यः ) गिरे तो (यस्य) जिस (राज्ञ:) उसके (तं) उस (नृपं) राजा का (कुमारो) कुमार (हन्ति) मारता है (प्रपद्यन्तं) ऐसा वर्णन किया
भावार्थ-यदि उल्का लाल वर्ण की सूक्ष्म होकर राजा की सेना के प्रति गिरे तो उस राजा को सामने वाले राजा का राजकुमार मार देता है, अर्थात् राजा का मरण राजकुमार के हाथ से होगा ॥५०॥
उल्कास्तु बहवः पीता: पतन्त्यः पृतनां प्रति ।
पृतनां व्याधितां प्राहुस्तस्मिन्नुत्पात दर्शने ॥५१ ।। (पीता:) पीले वर्ण की होकर (बहवः) बहुत (उल्कास्तु) उल्काओं (पृतनांप्रति) सेना के प्रति (पतन्त्य:) गिरे तो (पृथनां) उस सेना में (व्याधितां) व्याधि उत्पन्न होगी, (तस्मिन्नुत्पात) ऐसा उत्पात के (दर्शने) दर्शन होने पर (प्राहुः) कहा गया
भावार्थ—यदि जिस सेना के अन्दर बहुत पीले वर्ण उल्का सूक्ष्म होकर गिर तो समझो उसी सेना में रोग उत्पन्न होगा, ऐसा निमित्त शास्त्रकारों ने कहा है यही उत्पात शास्त्र का कहना है॥५१॥
सस शस्त्रानुपद्येत? उल्का:श्वेताः समन्ततः ।
ब्राह्मणभ्यो भयं घोरें तस्य सैन्यस्य निर्दिशेत् ।। ५२|| (सशास्त्रानुपद्येत्) बहुत शास्त्रों के अनुसार (उल्का:) उल्का (श्वेता:) सफेद होकर (समन्ततः) चारों तरफ गिरे तो (ब्राह्मणेभ्यो)) ब्राह्मणों को और (तस्य) उस (सैन्यस्य) सेना का (घोर) घोर (भयं) भय होगा (निर्दिशेत्) ऐसा कहा गया है।