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॥ सर्वार्थसिद्धिवचनिका पंडित जयचंदजीकृता ॥ प्रथम अध्याय ।। पान ७२ ।। एक गुणस्थानके २९९ । च्यारिनिके जोडिये तब ११९६ होय । च्यारि क्षपक श्रेणीवाले बहुरि अयोगकेवली प्रवेशकरि एक दोय तीन आदि उत्कृष्ट एकसो आठताई अपनां अपनां कालके भेले होय तव संख्यात होय । एक गुणस्थानमें ५९८ । पांच गुणस्थानके जोडिये तब २९९० होय । | सयोगकेवली प्रवेशकरि एक दोय तीन आदि उत्कृष्ट एकसो आठताई हैं । या गुणस्थानके भेले होय तब पृथक्त्व लाख होय हैं ते ८९८५०२ होय । ऐसें प्रमत्तसंयत लगाय अयोगकेवलीपर्यंत सर्वसंयमी जोडिये तब नवकोडि तीन घाटि होय हैं । ८९९९९९९७ ।।
बहुरि विशेषकरि गतिके अनुवादकरि नरकगतिविर्षे पहली पृथिवीविर्षे नारकी जीव मिथ्यादृष्टि असंख्यात जगच्छ्रेणीपरिमाण हैं । सो जगत् प्रतरके असंख्यातवै भाग हैं । बहुरि दूसरी पृथिवीतें लगाय सातमीताई मिथ्यादृष्टि श्रेणीके असंख्यातवै भाग परिमाण हैं । सो असंख्यातवां भाग असंख्यातं कोडि योजनके प्रदेश होय तेते जानने । बहुरि सर्वही पृथिवीनिविर्षे सासादनसम्यग्दृष्टि सम्यमिथ्यादृष्टि असंयतसम्यग्दृष्टि पल्योपमकै असंख्यातवै भाग परिमाण हैं । बहुरि तियंचगतिवि तिर्यंचजीव मिथ्यादृष्टि अनंतानंत हैं । सासादनसम्यग्दृष्टि आदि संयतासंयतताई पल्यकै असंख्यातवै भाग परिमाण हैं । मनुष्यगतिवि मनुष्य मिथ्यादृष्टि श्रेणीकै |
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