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॥ सर्वार्थसिद्धिवचनिका पंडित जयचंदजीकृता ॥ प्रथम अध्याय ॥ पान १०९ ॥
सागर कछु अधिक है। अवशेषनिका गुणस्थानवत् अंतर है । क्षायोपशमिक सम्यग्दृष्टीनिविर्षे असंयतसम्यग्दृष्टीका नानाजीव अपेक्षा अंतर नांही है। एकजीव अपेक्षा जघन्य तौ अंतर्मुहूर्त है। उत्कृष्ट कोडिपूर्व देशोन है। संयतासंयतका नानाजीव अपेक्षा अंतर नांही है । एकजीव अपेक्षा जघन्य तौ अंतर्मुहूर्त है उत्कृष्ट छ्यासठि सागरोपम देशोन है । प्रमत्त अप्रमत्त संयतका नानाजीव अपेक्षा अंतर नांही है। एकजीव अपेक्षा जघन्य तौ अंतर्मुहूर्त है । उत्कृष्ट तेतीस सागर कछु अधिक है। औपशमिक सम्यग्दृष्टिनिवि . असंयतसम्यग्दृष्टिका नानाजीवकी अपेक्षा जघन्य तौ एकसमय है। उत्कृष्ट सात राति दिन है । एकजीव अपेक्षा जघन्य तौ अंतर्मुहूर्त है । उत्कृष्टभी अंतर्मुहूर्त है । संयतासंयतका नानाजीव अपेक्षा जघन्य तौ एकसमय है । उत्कृष्ट चौदह राति दिनका अंतर है । एकजीव अपेक्षा जघन्यभी उत्कृष्टभी अंतर्मुहूर्त है । प्रमत्त अप्रमत्त संयतका नानाजीव अपेक्षा जघन्य तौ एकसमय है । | उत्कृष्ट पंदरह राति दिन है। एकजीव अपेक्षा जघन्यभी उत्कृष्टभी अंतर्मुहूर्त है । तीन उपशमश्रेणीवालानिका नानाजीव ओक्षा जघन्य तौ एकसमय है । उत्कृष्ट पृथक्त्ववर्ष का अंतर है । एकजीव अपेक्षा जघन्यभी उत्कृष्टभी अंतर्मुहून है। उपशांतकषायका नानाजीव ओक्षा गुणस्थानवत् है ।
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