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सूत्रस्थान-अ० ११.
१ १२१) करना वृथा है । इन चार परीक्षाओस ही सभीका परीक्षण होजाताहै । इन चार परीक्षाओं द्वारा ही सत्, असत् और पुनर्भव जानाजाता है ॥ २४॥ . *. .
भातागमका लक्षण, फल। • तत्राप्तीगमस्ताववेदोयश्चान्योऽपिकश्चिद्वेदार्थादविपरीतःपरी
क्षकैःप्रणीतः । शिष्टानुमतोलोकानुग्रहप्रवृत्तःशास्त्रवादः .. सचाप्तागमः। आप्तागमादुपलभ्यते दानतपोयज्ञसत्याहिंसा- . ब्रह्मचर्याण्यभ्युदयनिःश्रेयस्कराणीति । नचानतिवृत्तसत्त्वदोषाणामदोषैरपुनर्भवोधर्म्यद्वारेषुपदिश्यते ॥ २॥ . सबसे बढकर प्रमाणिक वेद है और भी जो वेदके आशयसे विरुद्ध न हों ऐसे वाक्य तथा आप्तऋषियोंके रचेहुए शास्त्र एवं श्रेष्ठ पुरुषोंके मानेहुए और लोकपरंपरासे प्रचलित शास्त्रोंके वाक्य वेदसे अविरुद्ध आप्तागम कहेजातेहैं । इन आता
गम (प्रामाणिक वाक्य ) द्वारा-दान, तप, यज्ञ, सत्य, अहिंसा, और ब्रह्मचर्य — इनकी प्राप्ति होतीहै इसीसे इस लोक और परलोकमें सुखकी प्राप्ति होतीहै . आप्तोंका उपदेश है कि जबतक रजोगुण औरः तमोगुण दूर होकर मनकी शुद्धि नहीं होती तब तक मोक्षकी प्राप्ति नहीं होसकती ॥ २५ ॥ . धर्मद्वारावहितैश्चव्यपगतभयरागद्वेषलोभमोहमानैर्ब्रह्मपरैराप्तैः ।
· कर्मविद्भिरनुपहतसत्त्वबुद्धिप्रचारैःपूर्वैःपूर्वतरैर्महर्षिभिर्दिव्य- .. • चक्षुभिदृष्टोपदिष्टपुनर्भवइतिव्यवस्येदेवं प्रत्यक्षमपिचोपल
क्यते ॥ २६ ॥ जो धर्ममें रत हैं और जिनके भय,राग,देष,लोभ,मोह, मान, यह समूल नाशकों प्राप्त होचुकेहैं तथा ब्रह्मके जाननेवाले, आप्त, कर्मके जाननेवाले, और जिनके मन, बुद्धि निश्चल हैं तथा जो सदैव ज्ञानयुक्त हैं उन पहले होनेवाले प्राचानतम मह; पियोंने ज्ञानके नेत्रोंद्वारा पुनर्जन्मको देखकर उसे. सिद्ध किया है और प्रत्यक्षमें भी पुनर्जन्मकी उपलब्धि होतीहै ॥ २६ ॥..
. पुनर्जन्ममें अनुमान। . . .. मातापित्रोविसदृशान्यपत्यानितुल्यसम्भवानांवर्णस्वराकृति- . .. सत्त्वबुद्धिभाग्यविशेषाः प्रवरावरकुंलजन्मदास्यैश्वर्यसुखा- सुखमायुः । आयुषोवैषम्यमिहकृतस्यावातिरशिक्षितानाञ्चरु