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सूत्रस्थान-अ० १५. फिर उस घरमें सुशील, शुद्ध आचारवाले, स्वामीके भक्त, चतुर, सेवाकरनमें कुशल, सव कामोंमें निपुण, भोजन बनानेमें चतुर, स्नान करानेवाले, सुलानेवाले, हाथ पकडकर चलनेवाले, उठाने बिठानेवाले, औषध पीसनेवाले, अन्य सब काम करनेमें योग्य, परिचारकोंको रक्खे । तथा गाने बजाने,आलाप करनेवाले, श्लोक, कहानिये, कथा, इतिहास, पुराण, इनमें कुशल और अभिप्राय तथा मनकी इच्छाके समझनेवाले, देशकालके अनुसार बात चीत करके चित्तको प्रसन्न रखनेवाले सभा. सदोंको नियुक्त करै । और लवा, तीतर, शशा, हिरन, काला हिरन, कालपुच्छक, मृगविशेष, मेढा, इन सवको उस घरमें स्थापन करे ॥ ८॥
गांदोग्धींशीलवतीमनातुरांजीवद्वत्सांसुप्रतिविहिततृणशरणपानीयाम् । पाण्याचमनीयोदकोष्ठमाणकघटपिठरपर्योगकुम्भीकुम्भकुण्डशरावदींकटोदश्चनपरिपचनमन्थानचमचेलसूत्रकार्पासोर्णादीनिचशयनासनादीनचोपन्यस्तभृङ्गारप्रतिगृहाणिसुप्रयुक्तास्तरणोत्तरप्रच्छदोपधानानिस्वापाश्रयाणि संवेशनस्नेहस्वेदाभ्यङ्गप्रदेहपरिषेकानुलेपनवमनविरेचनास्थापनानुवासनशिरोविरेचनमूत्रोच्चारकर्मणामुपचारसुखानि सुप्रक्षालितोपधानाश्च सुश्लक्ष्णखरमध्यमा दृषदः शस्त्राणि चोपकरणार्थानि । धूमनेत्रबस्तिनेत्रश्चोत्तरबस्तिकञ्च । कुशहस्तकञ्चनूलाञ्चमानभाण्डञ्चघृततैलवसामज्जक्षौद्रफाणितलचणेन्धनोदकमधुसीधुसुरासौवीरकतुषोदकमैरेयमेदकदधिदधिमण्डोदस्विद्धान्याम्लमूत्राणिच ॥९॥
और दूध देनेवाली, सुशीला, नीरोग, जिसका बछडा जीताहो ऐसी गौको रक्ख और उस गौको यथेच्छ घास, जल तथा उत्तम स्थान मिलना चाहिये आर जल तथा आचमन आदिके लिये पात्र जलकी कोठी, पतीला, कलशा, घडा, माट, झारी, शराव, कछली, पाक बनानेके पात्र, थाली, कटोरे, गिलास,आदि मथानी कपडे, सूत, कपास, ऊन आदिकसे बनीहुई सोनकी शय्या, आसन आदि आरा. मके सामान स्थापन करे । और शय्या आसनके समीप ही जलकी झज्झर और थूकने आदिके लिये पीकदान आदि स्थापन करें। सुंदर बिछौना; ओढना, तकिया, पलंगके पडावे , बैठने लेटनेमें सुखदायक सामान रहना चाहिये तथा स्नेह, स्वेद,