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जाहिरात। क्रय्य पुस्तकें-(वैद्यक-ग्रन्थाः )।
नाम.
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'की. रु. भा. अष्टाङ्गहृदय-(वाग्भट) मूल मोटा अक्षर वाग्भट विरचित '.... ५-० अष्टाङ्गहृदय-(वाग्भट) वाग्भटविरचित तथा पं० रविदत्तकृत भाषाटीकासहित और पं० ज्वालाप्रसादजी मिश्र संशोधित। ....
१०-० अमृतसागर-हिन्दीभाषामें-विना गुरु छोटे नगरोंमें दवाखाना कर:
सक्ते हैं । इसमें सर्व रोगोंका वर्णन और यल लिखेगये हैं ग्लेज कागज .... .... .... .... ... ३-८ , तथा रफ कागज
३-० अर्कप्रकाश-( रावणकृत) भाषाटीकासमेत । इसमें नानाप्रकारके , यन्त्रोंसे औषधियोंका अर्क खींचना और गुणवर्णन भलीप्रकार कियागयाहै. ग्लेज कागज ... ... .... १-८
तथा रफ कागज .... .... ..... .... १-४ अनुपानदर्पण-भाषाटीकासमेत । इसमें रस-धातु बनानेकी किया ।
और अनुपान देना तथा रोगों पर औषधों में क्या २ अनुपान देना । यह सब वर्णित हैं. ....
.... १-० अनुभूतयोगावली-चिकित्साग्रन्थ । इसमें अनुभव कीहुई हरेक रोगकी उत्तम उतम औषधियां वर्णित हैं
.... ०-१२ अजीर्णतिमिरभास्कर-भाषामें-क्याखूव रामप्रसाद कृत अजीर्णमञ्जरी-भाषाटीकासहित । इसमें किन २ चीजोंका अजीर्ण किन २ चीजोंके सेवनसे दूर होताहै इत्यादि विषय भलीप्रकार लिखे हैं
... .... .......... -४ आयुर्वेदसुषेणसहिता-भाषाटीकासहित । इसमें सामान्य औषधीवर्ग, • धान्यवर्ग, पयवर्ग इत्यादिकोंका गुण-दोष वणित है. आयुर्वेदचिन्तामणि-भाषाटीकासहित। पं० बलदेवप्रसाद मिश्र संगृहीत २-८
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