Book Title: Charaka Samhita
Author(s): Ramprasad Vaidya
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai

View full book text
Previous | Next

Page 935
________________ इन्द्रियस्थान ५. (८७७) दोहा। मनुजनके जीवन मरण, विषयक पूरण ज्ञान ॥ जानाचाहैं भिषक् जो, पढलें इन्द्रिय स्थान ॥ १॥ द्वादश अध्यायन विषे, ऋषिजन वाक्य विचार ।। सो प्रसादनीयुत भयो, तिलकित भलेप्रकार ॥२॥ वैद्यजननको चाहिये, राखें नित निज ध्यान ॥ ऋषिप्रणीत इस तंत्रमें, पूरण पंचमस्थान ॥ ३ ॥ ॥ इतीन्द्रियस्थानं पञ्चमम् ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 933 934 935 936 937 938 939