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जाहिरात |
नाम.
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: इलाजुलगुवा - नूतन मथुराका छपा है औषधीक्रिया - मराठी भाषाटीकासमेत । "आर्यभिषकूपुस्तकावली" मेंसे यह स्वतन्त्र निकाला गया है | मराठी भाषा जाननेवालों को परमोपयोगी है. अंजननिदान - भाषाटीकासमेत । इसमें सुगमता से रोगका निदान
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लिखा है,
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कल्पपञ्चकप्रयोग- भाषाटीकासमेत । इस ग्रन्थमें चोपचीनीकल्प रुद्रवन्तीकल्प, रागदमनीयकल्प, शिवलिङ्गीकल्प, तथा पलाशकल्पा
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त्मक भी हैं, -करिकल्पलता-छन्दोबद्ध - हिन्दी भाषामें । केशवसिंहजी तअल्लुकेदार रचित । इसमें - हाथियों के शुभाशुभलक्षण व उनके रोगनाशार्थ अनेक औषधिविधान चित्रोंसमेत वर्णित हैं कामकुतूहल- भाषा टीकासमेत । इसमें शरीरकी क्षीणतादिमें अपूर्व
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दवाइयोंका संग्रह है. -कामरत्न - योगेश्वर नित्यनाथप्रणीत और विद्यावारिधि पं० ज्वालाप्रसादजी मिश्रकृत भाषाकासमेत । इस ग्रन्थमें कामशास्त्रादि विषय और रोगोंकी औषधि तथा वाजीकरण औषधी अनुभूत हैं और वशीकरणादि प्रयोगभी हैं -कालज्ञान-भाषाटीकासमेत इस ग्रन्थका सम्पूर्ण अभ्यास करनेसे भूठ,
भविष्य, वर्त्तमानका ज्ञान होता है
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- क्याखूवडिबिया - ( जर्राहीयोग) चौबे क्याखूबजीकी हमेशा पास रखने योग्य है देखनेसे मालूम होसकेगा, कुमारतन्त्र - रावणकृत मूल तथा भाषाटीकासमेत । इसमें बालकों की दवाइयोंका अपूर्व वर्णन है. कूटमुद्गर - सटीक संस्कृत. कूटमुद्गर - भाषाटीकासमेत. गुणोंकी पिटारी - काशीनिवासी स्वामी परमानन्दने बड़े परिश्रमसे हिन्दीभाषा में बनाई है । इसमें अनेक प्रकारकी धातुओंके फूंकने व सेवन करने व सिन्दूरादिके बनाने तथा साबुन, पारा, गन्धक और सिंगरफ वगैरह के वर्तनोंके बनानेके परमोपयोगी नानाप्रका रके तरीके भी लिखेगये हैं
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