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विमानस्थान - अ० ८.
- ( ६३३) मांसयुक्त पुष्ट होती हैं । और मांससार होनेसे मनुष्य क्षमा, धृति, निर्लोभ, धन, विद्या, सुख, नम्रता, आरोग्यता और बल तथा दीर्घायुवाला होता है ॥ ११८ ॥
मेदःसार । वर्णस्वरनेत्र केशला मनख दंतौष्ठमत्रपुरीषेषु विशेषतः स्नेहो मेदः - साराणाम् । सासारतावित्तैश्वर्य्य सुखोपभोगप्रदानान्यार्जवं सुकुमारोपचारतामाचष्टे ॥ ११९ ॥
मेदसार मनुष्योंकि वर्ण, स्वर, नेत्र, केश, लोम, नख, दंत, होठ, मूत्र और मल ये सव विशेष चिकने होते हैं और यह पुरुष धन, ऐश्वर्य, सुख, भोग, दातृभाववाला होता है तथा सरलतायुक्त, सुकुमार और उपकरणयुक्त होता है ॥ ११९ ॥
अस्थिसार ।
पाणिगुल्फजान्वरत्निजत्रुचिवुकाशिरः पर्वस्थलाःस्थूलास्थिनखदन्ताश्चास्थितारास्तेमहोत्साहाः क्रियावन्तश्चक्लेश सहाः सारस्थिरशरीराभवन्तिआयुष्मन्तश्च ॥ १२० ॥
अस्थिसार मनुष्यों के गुल्फ, जानु, अरत्नी, अश, चिवुक, मस्तक और संपूर्ण संधियें तथा अस्थि, नख और दांत यह सब स्थूल होते हैं । वह मनुष्य महोत्साही, क्रियावान्, क्लेश सहन करनेवाला, सारयुक्त तथा दृढ शरीरखाला और दीर्घायु होता है ॥ १२० ॥
मज्जासार ।
तन्वङ्गाबलवन्तः स्निग्धवर्णस्वरास्थूल दीर्घवृत्तसन्धयश्चमज्जासारास्ते दीर्घायुषोबलवन्तः ॥ १२१ ॥
मज्जासार मनुष्य पतली देहवाले, बलवान् चिकनेवर्ण और स्वरवाले होतेहैं इनकी संपूर्ण संधियें दृढ, स्थूल, लम्बी और गोल होती हैं । यह मनुष्य दीर्घाय और वलवान् होते हैं ॥ १२१ ॥
शुक्रसार ।
श्रुतविज्ञान वित्तापत्य सम्मान भाजश्च सौम्याः सौम्यप्रेक्षिणश्च क्षीरपर्णलोचना इवप्रहर्षबहुलाः स्निग्धवृत्तसारसम संहतशिखरिदशनाः प्रसन्नस्निग्धवर्णस्वराभ्राजिष्णवो महास्फिजश्चशुक्रसाराः तेस्त्रीप्रियाःप्रियोपभोगावलवन्तः ॥ १.२२ ॥ १ अरनिकफोणिका ।