________________
(८७)
'शारीरस्थान-म०८. . .. - प्रतिकांग्रहका सामान । .... तत्रपिस्तैलमधुसैन्धवसौवर्चलकाललवणविडङ्गगुडकुष्ठकि- . लिमनागरपिप्पलीमूलहस्तिपिप्पलीमण्डूकपण्येलालाङ्गलीवाचव्यचित्रकचिरबिल्वहिंगुसर्षपलशुनकणकाणकानीपातसीबल्वजभूर्जाःकुलस्थमैरेयसुरासवाःसन्निहिताः स्युः ॥७८ ॥ उस घरमें घी, तेल, शहद, सेंधानमक, संचरनमक, कालानमक, वायविडंग, गुड,कुडा, देवदार, मोठ,पिपलामूल, गजपीपल, मण्डूकपर्णी, इलायची,लांगुलीकंद, बच, चीता, चव्य, लताकरज, हींग,सरसो,लहसुन,कनकवृक्ष, गेहूं,कदम्ब,अलसी, पेठा, भोजपत्र, कुलथी, मैरेय, सुरा और आसव इन सवको संग्रहकरके यथास्थान रक्खे ॥ ७८॥
तथाश्मानौद्वौद्वेचण्डमुसलेद्वेउलूखलेखरोवृषभश्चद्वौचतीक्ष्णौ सूचीपिप्पलकौसौवर्णराजतौदेशस्त्राणिचतीक्ष्णायसानिद्वौचविल्वमयोपय्यकौतेन्दुबैगुदानिचकाष्ठानिअग्निसन्धुक्षणानिस्त्रियश्चवह्वयोबहुशःप्रजाताःसौहार्दयुक्ताःसततमनुरक्ता:प्रदाक्षणाचाराःप्रतिपत्तिकुशलाःप्रकृतिवत्सलास्त्यक्तविषादाक्लेशसहिष्णवोऽभिमताब्राह्मणाश्चाथर्ववेदविदोयच्चान्यदपितत्रसमर्थ मन्येतयच्चब्राह्मणायुःस्त्रियश्चवृद्धास्तत्काय॑म् ॥७९॥ तथा दो पत्थर,दो मूसल,दो उखल,एक गधा,एक बैल,दो तीक्ष्ण सूइयें,सुवर्ण, चांदीकी, धागेकी गोली,लोहेके तीक्ष्ण शस्त्र,सोना,चांदी,बिल्वकी लकडीकी बनी चारपाई, तेंदु और इंगुदीकी लकडिये आगजलाने के लियं । जिन स्त्रियोंनेअनेकवार प्रसव करायाहो ऐसी हितके रखनेवाली जो गर्भवतीसे अत्यन्त प्रेम रखतीहों ऐसी स्त्रिये रखनी चाहिये परन्तु वह स्त्रिये बच्चा पैदा करानेमें अत्यन्त चतुर, चित्तकी बातको समझनेवाली, विषादरहित और स्वभावसे ही दयालु कष्टके सहन करनेवाली होनी चाहिये। तथा अथर्ववेदके जाननेवाले ब्राह्मण तथा अन्य भी जौं २ वस्तुयें आवश्यक प्रतीत हों और जिन वस्तुओंको वह ब्राह्मण कहे सबको उपस्थित करना चाहिये । जिस २ वातको वृद्धविर्य और वह अथर्ववेदी ब्राह्मण कहें सो उस स्थान रखना चाहिये तथा उसीप्रकार करना चाहिये ॥७९॥ .
ततःप्रवृत्तेनवमेमालिपुण्येऽहनिप्रशस्तनक्षत्रयोगमुपगतेभगवतिशशिनिकल्याणेकरणेमैत्रेमुहूर्तेशान्तिदुत्वागोब्राह्मणमाग्नि-...