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इन्द्रिपस्थान अ०६. रक्तस्रग्रक्तसंवागोरक्तवासामुहुईसन्।
यःस्वप्नेहियतना-सरतंत्राप्यसीदति ॥९॥ जिस मनुष्यको स्वप्नमें लाल पख, लालफूलोंकी माला पहिनेहुए सम्पूर्ण लाल अंगोंवाली स्त्री वारंवार हंसतीहुई आकर हरण करती है,उसको रक्तपित्त रोग होकर मृत्युको प्राप्त करदेताहै ॥९॥
शूलाटोपान्त्रकूजाश्चदौर्बल्यंचातिमात्रया।
नखादिषुचवैवण्यंगुल्मेनान्तकरोग्रहः ॥ १० ॥ जिस मनुष्यको अत्यन्त शूल, अफारा, आंतोंका कूजन, दुर्बलता यह अधिक होजायं और नखादिकोंमें विवर्णता होजाय उस मनुष्य की गुलमरोग द्वारा मृत्यु होजाती है ॥ १० ॥
लताकण्टकिनीयस्यदारुणाहृदिजायते ।
स्वप्नेगुल्मस्तमन्तायक्रूरोविशतिमानवम् ॥ ११ ॥ जिस मनुष्यको स्वप्नमें अत्यन्त कांटोंसे युक्त बेल अपने गलेमें पढीहुई छाती‘पर लटकती दिखाई दे उसकी गुल्मरागस मृत्यु होजातीहै ॥ ११॥
कायेऽल्पमपिसंस्पृष्टंसुभृशंयस्यदीर्यते ।
क्षतानिचनरोहन्तिकुष्ठैर्मृत्यहिनस्तितम् ॥ १२॥ जिस मनुष्य के शरीरमें थोडासास्पर्श करनेसे भी शरीर फटजाय और जो शरी__ रमें घाव उत्पन्न हों वह हटे नहीं तो उस मनुष्यकी कुष्ठरोगसे मृत्यु होजाती है १२।।
नमस्याज्यावसिक्तस्यजुहतोऽग्निमर्चिषम् ।
पद्मान्युरसिजायन्तेस्वप्नकुष्ठमरिष्यतः ॥ १३॥ जो मनुष्य स्वप्नमें नग्न होकर सम्पूर्ण देहमें घी लगा ज्वालारहित अनिमें हवन करे अथवा अपने छातीमें कमल उत्पन्न हुआ देखे तो उस मनुष्यकी कुष्टरोगसे मृत्यु होती है ॥ १३ ॥
स्नातानुलितगात्रेऽपियस्मिन्गृभन्तिमक्षिकाः ।। .. लप्रमेहेणसंस्पर्शप्राप्यतेनैवहन्यते ॥ १४ ॥ जिस मनुष्यके शरीरपर मानकर चन्दन आदि लगा लेनेपर भी बहुतसी मक्खि आकर बैठे उस मनुष्यकी प्रमेह रोगसे मृत्यु होती है ॥ १४॥