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+ गुफामें प्रवेशा बन्दरके ऊपर नग्न हाथोंमें डण्डालवर्णकी पापाला वस्त्रोंवाला
इन्द्रियस्थान-अ०६. (८३६) माल्यवसनास्वप्नेकालनिशामता ॥ ३७॥इत्यन्येदारुणाःस्वप्ना रोगीयैर्यातिपञ्चताम् । अरोगःसंशयंगत्वाकश्चिदेवविमुच्यते॥३८॥ जो मनुष्य स्वप्नमें लाल फूलोंके वनमें तथा पापकर्म होतेहुए स्थानमें, अंधकार युक्त गुफामें प्रवेश करता है अथवा लाल फूलोंका हार धारण किये हुए हंसता २ -दाक्षण दिशामें या बन्दरके ऊपर चढकर घोरे जंगलमें प्रवेश करताहै अथवा भगएं वस्त्र पहिने विकराल रूपवाले नग्न,हाथोंमें डण्डे लियेहुए कृष्णवर्ण और लाल नेत्रोंवाले दूतोंको स्वममें देखकर डरता है अथवा कालेवर्णकी पापाचारिणी लम्बे वालोंवाली तथा लंबे नख और स्तनांवाली मलिन भाला और मलिन वस्खोवाली काली निशाचरीको देखताहै अथवा अन्य इसीप्रकारके दारुण स्वप्नोंको देखता है तो वह यदि रोगी हो तो मृत्युको प्राप्त होताहै और निरोगी मनुष्यभी ऐसे स्व: नोंको देख महान् कष्टको प्राप्त होताहै ।। ३४ ॥ ३५ ॥ ३६ ॥ ३७॥ ३८ ॥ मनोवहानांपूर्णत्वादोषरतिबलैत्रिभिः । स्रोतसांदारुणान्स्वप्नान्कालेपश्यतिदारुणे ॥ ३९ ॥ नातिप्रसुप्तःपुरुषःसफलानफलानपि । इन्द्रियेशेनमनसास्वप्नान्पश्यत्यनेकधा ।। ४०॥
जव वातादि तीनों दोषं बलवान होकर मनकी वहन करनेवाली नाडियोंमें प्राप्त होजाते हैं तब उस समयमें वह मनुष्य शुभ और अशुभ स्वप्नोंको देखताहै । जिस -समय मनुष्य आधिक निद्रामें नहीं होता उस समय इन्द्रियोंके पति मनके द्वाराअनेक प्रकारके स्वप्नोंको देखता है वह स्वप्न कोई सफल होतेहैं कोई निष्फल होतेहैं३९॥४०
स्वप्नके भेद । दृष्टंश्रुतानुभूतश्चप्रार्थितंकल्पितंतथा।
भाविकंदोषजञ्चैवस्वतंसप्तविधविदुः ॥ ११ ॥ सुनेहुए,देखेहुए,अनुभव कियेहुए,इच्छा कियहुए,कल्पना किये हुए,भावी फलक करनेवाले और तीनों दोषोंसे होनेवाले इन भेदोंसे स्वप्न सात प्रकारके होतेहैं॥४१॥
तत्रपञ्चविधपूर्वमफलंभिषगादिशेत् ।
दिवास्वप्नमतिहस्वमीतदीर्घञ्चबुद्धिमान् ॥ ४२ ॥ इनमें पहिले पांच प्रकारके स्वप्नोंको वैद्य निष्फल कथन करे।अथवा जो स्वप्न दिनमें देखा गया या बहुत छोटासा हो या बहुत लम्बा हो उसको भी बुद्धिमान निष्फल जाने ॥४२॥