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चरकसंहिता-भा० टी० और बहुत ऊंचा शब्द सुननेसे भयंकर अप्रिय शब्दके सुननेसे भी अस्तालमें गर्भअत होजाताहैं । और सदैव सींधी उद्यान पडी रहनेसे गर्भकी नाभिसे आमित नौडी गर्भके कण्ठमें लिपट जातीहै । इसलिये गर्भका उपघात होताहै ॥११॥
विवृतशायिनीनतश्चारिणीचोन्मत्तंजनयत्यपस्मारिणंपुनःकलिंकलंहाचारशीला । व्यवाहीलातुर्वपुषमहीकलणंबासो :. कनित्याभीतमपचितमल्पायुषंवा । अभिध्यात्रीपरोपतापिनमीयुनेणवातेनात्यायालबहुलमतिद्रोहिणमकर्मशीलंका।अ-. • मर्षिणीचण्डमोपाधिकनसूयकंवा स्वप्ननित्यातन्द्रालसबुध. . मल्पानिवा। मद्यनित्यापिपासालुमनवस्थितचित्तंवा । गोधा . मांसप्रियाशरिणमश्मारिणशनहिनंवा। वराहमांसप्रियारकाक्षंकथनमनतिपरुषरोमाणंवा । मत्स्यमांसनित्याचिरनिमिषं स्तब्धाक्षवा । मधुरनित्याप्रमहिणमूकमग्निस्थूलवा । • अम्लनित्यारक्तपित्तिनत्वगक्षिरोगिणंवा । लवणनित्याशीघ्र.: वलीपलितखालित्यरोगिणंवा कटुकनित्यादुर्बलमल्पशुक्रमन'पत्यंवा । तिक्तनित्याशोषिणमवलमपचितंवा । कषायनित्या श्यावमानाहिलमुदावर्तिनंवा ॥४२॥ यदि गर्भवती स्त्री नग्न होकर सोया करे अथवा इधर उधर अधिक फिरे तो उसके. गर्भसे उन्मत्त ( पगली ) संतान होती है । गर्भवती स्त्री यदि अधिक कलह और उपद्रव करनेवाली हो तो मृगीरोगवाली संतान होती है। यदि गर्भवती स्त्री अधिक मैथुन करे तो विकल और निर्लज्ज अथवा स्त्रैण (त्रियोंकेसे कृत्यवाली ) संतान उत्पन्न होती है ।यदि गर्भवती निरन्तर शोकसे व्याकुल रहा करे तो उसकी संतान भयातुर, क्षीण और अल्पायु होती है। यदि गर्भके समय स्त्री परधनके लेनेकी इच्छा रखती हो तो उसकी सन्तान परायी सम्पत्तिको देखकर जलनेवाली और ईयायुक्त क्या स्त्रैण सन्तान होतीहै । अथवा चोर, आलसी, अतिद्रोही, कुकर्म करनेवाली सन्तान होती है । गर्भवती स्त्री, अत्यन्त क्रोध किया करे तो उसकी सन्तान अत्यन्त क्रोधी, छली और चुगलखोर उत्पन्न होती है। अत्यन्त सोनेवाली गर्भवती स्त्रीको सन्तान निद्रालु,आलसी, मूर्ख मन्दाग्निवाली उत्पन्न होती है। यदि : गर्भवती स्त्री मद्य पीये तो तृषार्त और विकलचित्त संतान होती है। जो स्त्री गोका.