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शारीरस्थान-अ०७.
(७९) . छप्पन ५६ प्रत्यंग ( उपांग ) हैं । वह पूर्व कहेहुए छ. अंगोंमें बंधे हैं जिनका पहिले छ: अंगोंका कथन करते समय कथन नहीं कियागयाथा। अब उन छप्पन अंगोंका कथन करते हैं । जैसे-२ जंघाओंकी पिंडलिये। २ ऊरुस्थलकी पिंडलिये २ स्फिकार वृषण । १ लिंग । १ आमाशय । १ ग्रहणी । २ वंक्षण। २ कुकुन्दर । १ बस्तिशर्षि । १ उदर । २ स्तन ।२ भुजा । २ कुहुनियां। १ ठोडी । २ होठ । २ सुक्कणी । २ दंतवेष्टः । १ तालु । १ गलशुण्डिक । २ उपजिह्व । १ गोजिद्विका । २ गण्डस्थल । २ कर्णशष्कुलिका । २ कर्णपंत्र । २ अक्षिकूट । ४ अक्षी। २ अक्षीकनीनिका । २ भौहें । १ गर्दन। २ हथेली । २ तलवे । ९ महाछि। उन नवोंमें सात छिद्र गर्दनसे ऊपर और दो नाचेके भागमें ॥ १२ ॥
अदृश्य अंगोंके नाम । एतावदृश्यशक्यमपिनिर्देष्टुमनिर्देश्यमतःपरंतक्यमेवतद्यथा नवनायुशतानिसप्तशिराशतानिद्वेधमनीशतेपञ्चपेशीशतानि सप्तोत्तरंमर्मशतंद्वेपुनःसन्धिशते ॥ १३ ॥ यह सब अंग दृश्य अर्थात् देखने में आतेहैं और बहुतंसे ऐसे अंग भी हैं जो अदृश्य हैं वह केवल तर्कदाराही जाने जासकतहैं । जैसे-नौसौ ९०० स्नायु । सात सौ ७०० शिरा दोसौ २०० धमनियां पांचसौ ५०० पेशियां। एकसौ साता १०७ मर्म दोसौ २०० संधियां होतीहैं । १३ ।। त्रिंशच्छतसहस्राणिनवचशतानिषट्पञ्चाशत्सहस्राणिशिराधमनीनामणुशःप्रविभज्यमानानांमुखाग्रपरिमाणम् । तावन्ति चैवकेशश्मश्रुलोमानीत्येतद्यथावद्यसंख्यातंत्वक्प्रभृतिदृश्यमतःपरंतळम् ॥ १४॥ इन शिरा और धमनियोंके सूक्ष्म विभाग करनेसे इनके मुखाग्रभागका परिमाण अर्थात् संख्या ३० तीस लाख ५६ छप्पन हजार ९ नौसो होतीहै । उतनेही केश, श्मश्रु और रोम होते हैं । इसप्रकार इनकी यथावत् संख्याका वर्णन किया गयाहै। त्वचा प्रभृति जो दीखने में आतेहैं उनको दृश्य कहतेहैं तथा अन्यको तक्या कहते हैं ॥ १४ ॥
एकेतदुभयमपिनविकल्पयन्तेप्रकृतिभावाच्छरीरस्ययत्त्वञ्जाल
संख्येयंतदुपदेश्याम इत्परंप्रमाणमभिज्ञेयंतच्चवृद्धिहासयोगि: .. - तळमेवतद्यथादशोदकस्याञ्जलयःशरीरेस्वेनाञ्जलिप्रमाणेय ..