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विमानस्थान - अ० ८.
सिकाललाटानि, चतुरंगुलानि, षोडशांगुलोत्सेधंद्वात्रिंश-दंगुलपरिणाहंशिरइति पृथक्त्वेनाङ्गावयवानांमानमुक्तं केवलं - पनःशरीरमंगुलिपर्वणिचतुरशीतिस्तदायामविस्तारसमंसमु :
( ६३७ )
च्यते ॥ १३२ ॥
पैरोंकी - : चाई चार अंगुल चौडाई छः अंगुल और लंबाई चौदह अंगुल होती है घुटने से नाचे - टांगों पिंडलियों) की लंबाई - अठारह अंगुल और घेर सोलह अंगुल होता है । जानुकी लंबाई- चार अंगुल और वेष्टन सोलह अंगुल होता है । जानुसे ऊपर ऊरूस्थल अर्थात् मोटी जांघकी लंबाई तीस अंगुल, और घेर अठारह अंगुल होता है । वृषण अर्थात् फोतके नसोंकी लंबाई छः अंगुल और वेष्टन आठ अंगुलका होताहै । शिश्न इंद्रियकी लंबाई छः अंगुल और वेष्टन पांच. अंगुलका होता है । भगकी गहराई - बारह अंगुल होती है। कमर सोलह अंगुल चाड' होती हैं । मूत्रवस्ती दश अंगुलके विस्तारवाली होती है । उदरका बारह अंगुल विस्तार है । दोनों पार्श्वका दशदश अंगुल विस्तार, और बारह बारह अंगुल लम्बाई है। दोनों स्तनोंका बारह अंगुलका अन्तर और दोदो अंगुलकी सीमा होती है । छाती चौवीस मंगुल चौडी और बारह अंगुल लम्बी होती है । हृदय - दो अंगुल कन्धे - आठ २ अंगुल | दोनों अंस-छः अंगुल होते हैं। सोलह अंगुल बाहोंका ऊपरका भाग । पन्द्रह अंगुल कोहनी से नीचेका भाग । दश अंगुल हाथ और आठ अंगुल कांख होती है । त्रिकस्थान - वारह अंगुल ऊंचा । पृष्ठस्थान- आठ अंगुलऊंचा। गर्दन चार अंगुल ऊंची आर बारह अगुल घेरमें होती है । बारह अंगुल ऊंचा और चौवीस अंगुल में चेहरा होताह। पांच अंगुलका मुख । चिबुक, ओष्ठ, दोनों कान दोनों नेत्र, नाक और मस्तक चार अंगुल विस्तारमें होते हैं। शिरका लवाब. सोलह अंगुल और वेर बत्तीस अंगुल होता है । इस प्रकार शरीर के पृथक् २ अवयवोंका परिमाण वर्णन किया गया है । सम्पूर्ण शरीरकी ऊंचाई चौरासी अंगुल होती है शरीरकी ऊंचाई और घेर प्रायः बराबर होता है । यह लक्षण सामान्यता से कथन. किया गया है ॥ १३२ ॥
तत्रायुर्बुल मोजः सुखमैश्वर्य्यवित्तमिष्टाश्चापरेभावाभवन्त्यायत्ताः प्रमाणवतिशरीरे विपर्य्ययस्तुहीनेऽधिकेवा ॥ १३३ ॥
( १ ) यश्व मानविरोधः सुश्रुतेन सोत्राङ्गुलेमानभेदात् शमयितव्यः । तत्र हि सविंशमंगुलिशवं पुरुषमानंम्, तेन तत्राङ्गुलिमानमेवाल्यं ज्ञेयम् । आयाम विस्तारसममिति यथोक्तप्रत्यवयवायामविस्तार-युक्तम् ।