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चरकसंहिता - भा० टी० ।
भारी; शीतल और अत्यन्त निग्ध पदार्थों के अधिक सेवनसे बहुत चिन्ताकें करनेसे रसके वहन करनेवाले स्रोत दूषित होते हैं ॥ १८ ॥ रक्तवाही स्रोत दूषित होने का कारण । विदाहीन्यन्नपानानिस्निग्धोष्णाद्रिवाणिच । रक्तवाहीनिदुष्यन्तिभजताञ्चापानलों ॥ १९ ॥
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· विदाही अन्नपानके सेवन से तथा स्निग्ध, उष्ण और द्रव पदार्थों के सेवनसे, धूप, अग्नि इनके सेवनसे रक्तवाही स्रोत दूषित होते हैं ॥ १९ ॥ मांसवाही स्रोतोंके दूषित होनेका कारण । अभिष्यन्दीनि भोज्यानि स्थूलानिचगुरूणिच । मांसवाहीनिदुष्यन्तिभुक्त्वा चस्वपतोदिवा ॥ २०॥
अभिष्यन्दी, स्थूल और भारी पदार्थों के भोजन करनेसे, भोजन कर दिनमें सोजासे मांसवाही स्रोत दूषित होते हैं ॥ २० ॥
मेदोवाही स्रोता के दूषित हानका कारण । अव्यायामाद्दिवास्वप्नान्मे ध्यानाञ्चातिभक्षणात् । मेदोवाहीनि दुष्यन्तिवारुण्याश्चातिसेवनात् ॥ २१ ॥
व्यायाम न करनेसे, दिनमें सोनेसे, चिकने पदार्थों के अधिक खानेसे और मद्यकें. अधिक पीनेस, मेदको वहन करनेवाले स्रोत दूषित होते हैं ॥ २१ ॥
अस्थिवाही स्रोतोंके दूषित होनेका कारण । व्यायामादतिसंक्षोभादस्थनामतिचभक्षणात् अस्थिवाहीनिदुष्यन्तिवातलानाञ्च सेवनात् ॥ २२ ॥
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अधिक व्यायाम करनेसे, अत्यन्त संक्षेपणसे, अस्थियोंके चवानेसे तथा वादवर्द्धक पदार्थों के सेवन से अस्थिवाही स्रोत दूषित होजाते हैं ॥ २२ ॥
मज्जावाही स्रोतोंके दूषित होनेका कारण । उत्पेषादत्यभिष्यन्दादभिघातात् प्रपीडनात् । मज्जावाहीनि दुष्यन्तिविरुद्धानाञ्च सेवनात् ॥ २३ ॥
किसी वस्तु के नीचे दबजाने से, अभिष्यंदी पदार्थों के सेवनसे, चोटके लगनेसें, शरीर के प्रपीडनसे, एवम् विरुद्ध पदार्थोंके सेवनसे मज्जाके वहन करनेवाले स्रोतदूषित होते हैं ॥ २३ ॥